पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२००

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यहाँ बात दूसरी है। धोती तथा कपड़े बने-बनाए हैं, जिन्हें और ‘अ’ बना दिया गया है। अछापन धोती के साथ-साथ आया है, तो निविभकि* *तुभ ने अच्छी शेती बनाई है किसी जुलाहे से कहा जाएगा । बनाना क्रिया में हो, तब २–तुम ने त अच्छी कर ली। २-तुम ने कपड़े सुनहरे कर लिए ३---नु दे कपड़े चमका दिए। यौं निविभकि* * आश्य रइ सके । परन्त निसर्ग-ऋति निर्विवाद वैसी ही रहेगी । वहाँ को' का प्रयोग अवश्य हो । तुस ने लड़के को अच्छा कर लिया, अच्छा बना लिया है। उस ने लड़की को उद्दण्द्ध कर दिया, उदराई बना दिया । ‘क’ विभक्ति के बिना उस ने पढ़ा-लिखा कर लड़के अच्छे बना लिए ऐसे प्रयोग भी होते हैं, ठीक हैं । 'पढ़ाने से स्पष्ट है कि लड़के अच्छे बनाए गए हैं। उसने लड़के अच्छे बनाए' में यह बात नहीं हैं । जान पड़ता है कि लड़के बनाए गए हैं ! नान ने लड़का अच्छा कर लिया उस ने लड़की उइड कर दी इस तरह के प्रयोग भद्दे लगेंगे । भाषा की ऐसी प्रवृत्ति नहीं है । ३-ॐ विभक्तिः हिन्दी की यह ‘से विभक्ति कृत, कर्म, करण तथा अपादान कारकों में श्रौंर अनेक जगह उपद-विभक्ति के रूप में भी प्रयुक्त होती है । | छत कारक में जब क्रिया में कत की असमर्थता आदि सूचित करनी हो, तब ( कर्मवाच्य या भाववाच्य क्रिया का } कर्ता ‘से' विभक्ति के साथ १-- हम से अब पोथा न लिखा जाएगा । २-बुड्ढे से चने नहीं चलते ! ३--उस मूर्ख से अपना नौकर भी दबाए नहीं दबता !