पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२४२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
(१९७)

( १६.७ } गुरुत्व से नम्रता आ गई हैं। क्रियाओं के झुके हुए रूप के साथ कर्ता तथा कर्म के भी झुके हुए रूप ले लाते हैं, जैसे कि फलदार डालियाँ झुक्क रही हौं । देखिए- लङ पढ़ते हैं। लड़के पढ़ते हैं। इन दो पंक्तियों में कौन-ती अधिक अच्छी लगती है ? इसी तरह- वड़ी लइकी दर्ता है। ज्येष्ठ कन्या पत्नी है। इन पंक्ति में भी तारतम्य स्वरूपात निकालिए। स्वैर, कहने का मत- लब यह कि हिन्दी के प्रत्यान्त शब्द तथा इस रैंग में देंगे विदेशी शब्द : निर्विभकिक बहुवचन में एकान्त हो जाते हैं ।। शहजादे भी काम झरते थे । बहुत शाहजादे देखे, पर ऐब मूत्र में ! अब सब के कटे पूरे हो गए। सविभक्तिक पु वर्ग के बहुवचन बनाने की चर्चा नृथक अनावश्यक हैं। क्योंकि वैसी स्थिति में स्त्रीवर्गीय शब्दों के भी बहुवचन उसी तरह बनते हैं। केवल निर्विभक्तिक बहुवचन में ही अन्तर है। सो,' स्त्रीवर्गीय शब्दों के निर्विभकिक बहुवचन देख लीजिए। अकारान्त स्त्रीलिङ्ग शब्दों के निर्विभक्तिक बहुवचन * * प्रत्यय सामने अता है; और तब प्रकृति के अन्त्य ' का लोप हो जाता है। विद्धि में प्रल्यये ही हैं; एक विशेष प्रश् । बहन-बहनें, सुहारिन-लुहारिने, चिन-धाले लाइन-लइदै, ई-वाहें, नस-नसे आदि इया’---प्रत्ययान्त अनुनाफि तथा इकारान्त-ईफारान्त स्त्रीलिंग शब्दों से परे हूँ' को हो जाता हैं--- बुढ़िया-बुढ़ियाँ, डिबिया-डिबियाँ ‘या’ को ‘य हो गया; बस ।