पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२८

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( है ) भाववाचक और सर्वनाम किया गया ; जिसमें गुणवाचक संज्ञा का ही दूसरी नाम विशेषण है। इस दौर के व्याकरणों में केशवराम भट्ट का हिंदी व्याकरण विशेष लोकप्रिय हुश्रा ।। | आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने सरस्वती के संपादक होने के पश्चात् अनुः भव किया कि हिंदी भाषा में अस्थिरता आ गई है। हिंदी के विस्तृत भूखंड में जो साहित्य की रचना हो रही थी, उसमें एकरूपता का नितांत अभाव था । बात यह थी कि भारतेंदु युग की प्रतिभित ( स्टैंडर्ड ) हिंदी भाषा अधिकांश उच्चारण-सम्मत और तद्भव-प्रधान थी । हिंदी का यह दावा रहा है कि इसमें जो लिखा जाता है, वही पढ़ा जाता है और जो चोला जाता है वही लिखा जाता है। इस दावे के अनुसार भारतेंदुयुगीन साहित्य में बोलचाल की भाषा का जैसा उच्चार होता था वैसा ही लिखी भी जाता था। हिंदी एक बहुत ही विस्तृत भूखंड की भाषा थी, इस कारण एक प्रांत में किसी शब्द का जो उच्चारण होता था, दूसरे प्रांत का उच्चारण उससे भिन्न होता था, अस्तु, एक ही शब्द भिन्न-भिन्न क्षेत्र में भिन्न-भिन्न रूप में लिखा लाता था । इसी प्रकार तद्भव शब्दों के प्रांतज प्रयोग भी अन्य प्रांतों की जनता के लिये बोधगम्य नहीं रह गए थे। द्विवेदी जी ने इस विस्तृत भूखंड की भाषा में एकरूपता और स्थिरता लाने के लिये व्याकरणसम्मल भाषा लिखने का अांदोलन प्रारंभ किया । सरस्वती में नवंबर १६०५ में उन्होंने भाषा और व्याकरण' शीर्षक एक महत्वपूर्ण लेख लिखकर यह दिखाने का प्रयत्न किया कि हिंदी के लेखकगण लिखते समय व्याकरण की ओर ध्यान नहीं देते इसी कारण भाषा में एकरूपता का अभाव है। द्विवेदी जी के इस लेख की प्रतिक्रियास्वरूप एक अदिोलन-सा प्रारंभ हो गया । भारतमित्र' के संपादक बालमुकुंद गुप्त ने इस लेख में आए । अनस्थिरता' शब्द और द्विवेदी जी ने भारतेंदु युग के लेखकों की जो व्याकरण-संबंधी भूलें निकाली थीं उसे लेकर नौ-दस लेख 'भारतसित्र में

  • आत्माराम' के नाम से छपवाए और उसके उत्तर में गोविंदनारायण मिश्र

ने 'आत्माराम फी देंटें' शीर्षक लेख लिखकर गुप्त जी के श्राक्षेपों का उत्तर देने का प्रयास किया । इस वादविवाद में कटुता भी प्रदर्शित की गई परंतु उस लेखमाला से एक बात स्पष्ट हो गई कि हिंदी में एकरूपता का अभाव है। दिल्लीवाले जहाँ लिखते हैं–लेखनी उठानी चाहिए वहाँ लखनऊ वाले लिखते हैं-'लेखनी उठाना चाहिए। दिल्लीवाले जहाँ लिखते हैं ‘शिक्षा लेनी चाहिए वहाँ लखनऊवाले शिक्ष! लेना होगी' लिखते हैं