पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२८६

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तो ‘कस्मिन् छः ‘कस्मिन्’ रह और मः । बट्टा मे है । इसी मेज के झारश किस दिन की जगह इक दिन' हो जाता है। परन्तु फिर भी दो भिन्न्ने शब्द हैं । केचित् एवं मन्थन्’ को जगह एके एवं मन्यन्ते भी हो जाए' मा; परन्तु केचित् एवं मन्थन्ले' नहीं हो सकता । सो, कुछ प्रयोग; गलत है; इसी तरह ‘साज-एक श्रादि भई । “सातक आठक श्रादि ठीक; लगभग सात, आठ । सातक को चल कर बुढ़िया बीमार पड़ गई। लन् सात कोस चल स्कुर । ॐद मन्दार्थक सर्वनाम हैं ! ‘क’ अझ भी इनःथक है, ॐ ॐ अड़ पदार्थों के लिए तथ! अझ प्राधियों के लिर, आता है । के प्रयोग इस से अाग के क्षेत्र में हैं----कौन अट रद्द हैं ?' इमान्य ज्ञान हैं; दिवाई थइ भी दे रहा है कि कई म झ झ है, पशु आदि नई; परन्तु विदाध ज्ञान नहीं है। कभी-कभी मुामान्य ज्ञान भी नहीं । *धत! नहीं, कौन जिए, कौन मरे ?' यहाँ ‘दैन' प्रश्नायक न, अनिश्चयार्थक है । ‘इम में से कौन ए र ?' विशेधार्थक प्रश्न हैं ।। कोई यह सर्वनाम सामान्यर्थिक हैं। कोई आ रहा है। सामान्य ज्ञान है । प्रश्न नह्न है ! इन विशेष) ज्ञान भी है कि पशु आदि नहीं, कोई आदमी आ रही हैं । बार्जित विष ज्ञात है; पर व्यक्तिगत नहीं । व्य-िविशेई पचान में नई याय; समन्यः पुरुष-अदति है। कई जानि-सान्य का ज्ञान होता है; पर जाति-विशेष ज्ञान न इलः । तुई जाति-साथ ! चक्क शुद्ध थ्य के रूप में आता हैं----ॐई की जा रहा है। कौन' भी-'यह कौन सा झा जा रहा हैं कौन' अर्थ है। इस सामान्य-जाधक कोई इनाम के ३ चम्-चक्र सर्वनाम लिखा है ! अनि प्रकट करने के लि, तो कहा जाए गन्न

  • पता नहीं, कौन है ! ३ जानें कोई पशु हैं; सा कौन है !

सामान्य ज्ञान भी नहीं है । कोई शब्द ढूंस्कृत के 'क ' का रूपान्तर है ! कोऽधि' से 'कोड' और फिर स्वर दीर्घ श्नर के 'कोई’ ! अव आदि में 'को' के साथ हू' अन्य का ऊ इ र कोऊ न चलद हैं-दोऊ की तरह ।।