पृष्ठ:हिंदी शब्दानुशासन.pdf/२९२

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सामान्य-योग पुंजॉय

माने ओई झा र ३ । देवा - जान लिया कि कन- ३ र यह भी कान लिया कि पुवा नों; ॐ हैं । इ सम जान कर भी दुश किया जाता है---ई 7 रहा है। सामान्-ऋद पुंडधान हैं। है । कोई झा भद्दा है’ पुद्र ; परन्तु नैडाला इस ने छह न समझ मा कि झालेलाला कोई सुरुष ही हैं, ई नई हैं; छलने वाले का भी थई वाय नहीं किं वाला दुरुः । । । । । - झर झुात्रय सस र सामान्-'यह झर दे र २ ले भी चैा । इसके ला । यानी श्री ॐ न य न , बैंग झा” , हो। सामान्- - ॐ ॐ ब्रतः ई! कुर्स: द कॉन अ बड़ा है - झिए । ' के शो, छ अरे अशा आदि भी ॐ ॐ योग हैं । इन्द्रः { सब के लि, श्री-पुरुष दोनों के लिः) ईद है ; और डा, सी भरे । “क” गा” ले ह व ८ इद हैं । * ' * * * वचन हैं। एफव' की विनर नहीं हैं। वो 7 करते हैं, वैसः : है: इ. 5 जो जैसा अदक्षः ३, बैंक में हैं ये कचन में है र ने हूँ है परन्तु जोर देने के लिए एक ब्ल' ली जगह ऋषिश्न : ६ : *त्रं उदे सच बोलना चाहिए । 'बदेत अन्य एकवचन को रि हैं । मान्छु प्रयोश हैं। ‘मनुष्य' मात्र सामान्य त ए है । प्रत्येक मानव के लिर् यद् विधि है; इस लिए एकदन ही रखने की चाल है ।।

  • कृत ही नहीं, ‘क’ भी मान्यतः धुंद्रों में शुक्र वचन ही ra:--

‘इम सब ले रान कुछ ग्यूल दाया-ाि । विशेष शिक्षा नहुँ है; इस लिए १६ फवचन वाया-* ! यि खारफार के लिए इन 4 सन्द ब्य में से १३- - अङ्गा- ि ?' इस हैं | ** ही कि- चुके हैं, ?, इट् अंरि फर्जी के बन जा’ : प्रत्ये* * * अनुसार किंमें श्रद कथा दन-भेद हैं ! 'इच्छा, इ सुछ खाया- ॐ श्रेल १ अइ उब मि कि कुलकर } सामान्य-प्रयोग करता है । दह स’ में ३ सय ६३ : जालं हैं। संत में सामान्य-श्रन नपुंके लिङ्ग से ई है-तत्र कि ॐि भुम ** की इह ' नई ६. सकता है परन्तु हिन्दी में दुनिं इं। लदा है' या या १ ।