पृष्ठ:हिंदी साहित्य का आदिकाल.pdf/१०८

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पंचम व्याख्यान अपभ्रश-ग्रन्थों के प्रकाशन से अनेक तथ्यों का उद्घाटन हुआ है। जब-जब कोई जाति नवीन जातियों के सम्पर्क में आती है तब-तब उसमे नई प्रवृत्तियों आती है, नई श्राचार-परम्परा का प्रचलन होता है, नये काव्य-रूपों की उद्भावना होती है और नये छन्दो में जनचित्त मुखर हो उठता है। नया छन्द नये मनोभाव की सूचना देता है । श्लोफ का उदय नई साहित्यिक मोड़ की सूचना है। वह बताता है कि सवेदनशील कविचिच में नये युग के उपःकाल की किरण नवीन जागरण का सन्देशा दे चुकी है । इसी प्रकार गाया का उदय दूसरी सूचना है और दोहा का तीसरी । श्लोक लौकिक सस्कृत के आविर्भाव का सन्देशवाहक है। बैदिक युग जब समास हुअा तभी वह पूरी शक्ति के साथ उदित हुआ। एक तरफ उसमें आदिकवि का काव्य मुखर हुआ और दूसरी तरफ व्यासदेव का महाभारत । रामायण ने काव्य-साहित्य की परम्परा को जन्म दिया और इतिहास-काव्य ने पुराण और स्मृति-साहित्य को। बाद मे लौकिक संस्कृत का काव्य अनेक छन्दों से बहु-विचित्र हो उठा। इन छन्दों में उपजाति श्रेणी के छन्द अधिक लोकप्रिय हुए। फिर मन्दाक्रन्ता और शार्दूलविक्रीडित छन्द भी उदित हुए। अनेक कृती कवियों ने इन छन्दों में मनोहर काव्य लिखे। अमरुक और मेघदूत में बडे-बडे छन्द व्यवहृत हुए है। इतने बडे-बडे छन्दों में सुन्दर काव्य का निर्वाह सूचित करता है कि कवियों का भाषा पर बहुत व्यापक अधिकार हो चुका है। जिन दिनों यह जटिल छन्दोवन्ध लौकिक संस्कृत में बहुत सफलता- पूर्वक लिखा जाने लगा था उन्हीं दिनों लोकभापा एक नये छोटे-से छन्द की ओर मुड़ गई। जिस प्रकार श्लोक संस्कृत की मोड़ का सूचक है उसी प्रकार गाथा, प्राकृत की और के मुकाय का व्यंजक है। आगे चलकर श्लोक सस्कृत का और गाथा प्राकृत का प्रतीक हो गया । सन् ईसवी के प्रारम्भिक दिनों में गाथा का साहित्यिक क्षेत्र में प्रवेश हो चुका था। 'हाल' का गाथाकोश या 'सत्तसई' अपने ढंग की बिल्कुल नवीन रचना थी। इसमे जिस प्रकार की लौकिक-रस-प्रधान कविता का दर्शन होता है वह संस्कृत-साहित्य में अपरिचित-सा था। छोटे-मोटे नित्य घटनेवाले जीवन-व्यापारों के साथ इसमे एक ऐसा निकट-सम्पर्क पाया जाता है जो आमुग्मिकता के अातंक से ग्रस्त पूर्ववर्ती संस्कृत-साहित्य में बिल्कुल नहीं मिलता। प्रेम और करुणा के चुभनेवाले भाव, प्रेमियों की सरस क्रीडायों का बोलता या चित्र और प्रेम के घात-प्रतिधात के मनोहर दृश्य इस प्रथ मे अत्यन्त