पृष्ठ:हिंदी साहित्य का आदिकाल.pdf/८४

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तृतीय व्याख्याने पर जहाँ तक अनुमान-शक्ति के उपयोग का अवसर है, वहॉ तक लगता है कि रामो ऐसी ही कथा थी। ऐसी कथाएँ उन दिनों और भी बहुत-सी लिखी गई थी। कुछ का अामास संस्कृत-प्राकृत के विजय, विलास, रासक आदि की श्रेणी के काव्यों से लगता है और कुछ का उस समय की लिखी हुई नाटिकाओं, सड़कों, प्रकरण, शिलालेख-प्रशस्तियों श्रादि से मिलता है। संस्कृत मे इतिहास का कुछ पता बता देनेवाले काव्य तो मिलते है; पर उन्हें ऐतिहासिक' काव्य नहीं कहा जा सकता। सब जगह इतिहास-प्रथित तथ्यों पर कल्पना द्वारा उद्भावित घटनाएँ प्रधान हो उठती हैं। मैं श्रागेवाले व्याख्यान मे थोड़ा-सा इन ऐतिहासिक कहे जानेवाले काव्यों पर विचार करूँगा और फिर रासो के इस नवोद्घाटित मूल रूप के काव्य-सौन्दर्य पर विचार करूँगा। मुझे खेद है कि रासो का प्रसंग कुछ अधिक बढ़ाने को बाध्य हो रहा हूँ, पर सब दृष्टियों से यह इतना महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है कि थोड़ा और विचार कर लेना बहुत अनुचित नहीं होगा।