पृष्ठ:हिंदी साहित्य का आदिकाल.pdf/९

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सम्मतियाँ अमरनाथ झा 'हिन्दी साहित्य का श्राधिकाल' बड़े मूल्य की है। हिन्दी-साहित्य के प्रारंभिक समय का इसमें बहुत ही सुन्दर दिग्दर्शन हुआ है। डॉ० सुनीतिकुमार चाटुा- निस्संदेह यह पुस्तक अमूल्य है । वास्तवमै यह हिन्दी-साहित्य की उत्पत्ति और विकास परे विशद प्रकाश डालती है। इससे शोष-सम्बन्धी विद्वान् अत्यधिक लाभान्वित होंगे। डॉ. धीरेन्द्र वर्मा- हिन्दी-साहित्य के आदिकाल के सम्बन्ध में इसमें बहुत-सी नवीन सामग्री है । डॉ. नगेन्द्र- ___ यह अंथ हमारे श्रादिकाल के सम्बन्ध में अनेक समस्याओं का समाधान करता है, अनेक महत्त्वपूर्ण रहस्यों का उद्घाटन करता है और उस बीहड मे प्रवेश करने के लिए नवीन सरणियों का निर्देशन करता है । डॉ० रघुवंश- हिन्दी-साहित्य के इतिहास की दृष्टि से इस अध्ययन का बहुत अधिक महत्त्व है। पं० रामनरेश त्रिपाठी- इस पुस्तक मे लेखक की सूक्ष्म विवेचन शक्ति और ऐतिहासिक गवेषणा के प्रमाण मिलते हैं। यह पुस्तक हिन्दी-साहित्य के प्रारंभिक इतिहास के जिज्ञासुओं के लिए बड़ी ही उपयोगी है।