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प्रकाशक का वक्तव्य

इस पुस्तक का नवीन संस्करण इसके विद्वान लेखक द्वारा संशोधित और प्रवर्तित रूप में पाठकों की सेवा में उपस्थित है। लेखक तथा प्रकाशक ने इसकी अनुदिन बढ़ती हुई माँग को देखकर इसे शीघ्र से शीघ्र प्रकाशित करने का घोर प्रयत्न किया, किंतु जिस रूप में इनको निकालने का विचार था वह अत्यंत श्रमसाध्य होने के कारण समय पर न निकल सका, जिससे पाठकों विशेषकर परीक्षार्थियों को बड़ा कष्ट उठाना पड़ा। पर पाठकों की सुविधा को सर्वोपरि रखते हुए हमें प्रस्तुत रूप मे पुस्तक को प्रकाशित करना पड़ रहा है। लेखक को कुछ नवीन कवियों और लेखकों के विषय में लिखना अभी शेष था। इसके लिये हम क्षम्य हैं। अगले संस्करण में उसकी पूर्ति अवश्य कर दी जायगी।

प्रधान मंत्री

काशी-नागरीप्रचारिणी सभा

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लेखक का अचानक देहावसान हो जाने से नई धारा के कई वर्तमान कवियों का विवेचन विस्तृत रूप में नहीं प्रात हो सका। फलतः 'पंजाब संस्करण' से जो संक्षिप्त विवेचन छापा गया था वही इस ग्रंथ मे, पृष्ठ ७१४ के अंतिम अनुच्छेद से लेकर पृष्ठ ७२२ तक उद्धृत कर दिया गया है।

जन्माष्टमी, संवत् १९९९ ।
 


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