पृष्ठ:हिंदी साहित्य का इतिहास-रामचंद्र शुक्ल.pdf/१३

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१३-१४; नवनाथ, १५ ; मुसलमानो और भारतीय योगियों का संसर्ग, १५ ; गोरखनाथ की हठयोग-साधना, १६; नाथ संप्रदाय' के सिद्धांत, १६-१७; इनका वज्रयानियों से साम्य, १७ 'नाथपंथ' की भाषा, १८ ; इस पंथ का प्रभाव, १८ ; इसके ग्रंथ, १८ ; इन ग्रंथों के विषय १९ ; साहित्य के इतिहास में केवल भाषा के विकास की दृष्टि से इनका विचार, १९-२० ; ग्रंथकार-परिचय २१-२६ ; विद्यापति की अपभ्रंश रचनाएँ २६; अपभ्रंश कविताओं की भाषा २७ २८।

प्रकरण ३

वीरगाथा

देशभाषा-काव्यों की प्रामाणिकता मे संदेह २९ ; इन काव्यों की भाषा और छंद २९; तत्कालीन राजनीतिक परिस्थिति, २९-३० ; वीरगाथाओं का आविर्भाव, ३० ; इनके दो रूप, ३१ ; 'रासो' शब्द की व्युत्पत्ति, ३२ ; ग्रंथ-परिचय, ३२-३८, ग्रंथकार-परिचय, ३८-५२।

प्रकरण ४

लोकभाषा के पद्य, ५३ ; खुसरो, ५३-५६ ; विद्यापति ५७ ५६ ।

पूर्व मध्यकाल

प्रकरण १

सामान्य परिचय

इस काल की राजनीतिक और धार्मिक परिस्थिति, ६०-६२ ; भक्ति का प्रवाह, ६२ ; इसका प्रभाव ६२-६३ ; सगुण भक्ति की प्रतिष्ठा, ६३ ; हिंदू-