परिणाम, ५३२; कुछ लोगो की अनधिकार चेष्टा, ५३२-३३; आधुनिक-भाषा का स्वरूप, ५३३; गद्य-साहित्य विविध अंगो का सक्षिप्त विवरण और उनकी प्रवृत्तियाँ, ५३३-३४---( १ ) उपन्यास-कहानी, ५३५-४२; ( २ ) छोटी कहानियाँ, ५४२-४८ ( ३ ) नाटक, ५४८-५८ ( ४ ) निबंध, ५५८-६१: ( ५ ) समालोचना और काव्य-मीमांसा, ५६२-७६ ।
आधुनिक काल
(सं० १९०० से )
प्रकरण १
पुरानी धारा
प्राचीन काव्य-परंपरा, ५७७; ब्रजभाषा काव्य परम्परा के देवियों का परिचय, ५७८-८० ; पुरानी परिपाटी से संबध रखने के साथ ही साहित्य की नैवीन गति के प्रदर्शन में योग देनेवाले कविः ५८०; भारतेंदु द्वारा भाषा-परिष्कार का कार्य, ५८०; उनके द्वारा स्थापित कवि-समाज, ५८१; उनके भक्ति-शृंगार के पद, ५८१: कवि परिचय, ५८१-८७ ।
प्रकरण २
प्रथम उत्थान
( सं० १९२९.९९०)
काव्य-धारा का क्षेत्र-विस्तार, ५८८ ; विषयों की अनेकरूपता और उनके विधानढंग में परिवर्त्तन, ५८९ : इस काल के प्रमुख कवि, ५८९.; भारतेंदु वाणी का उच्चतम स्वर, ५८९ ; उनके काव्य-विषय और विधान का ढंग, ५९०-९१ प्रतापनारायण मिश्र के पद्यात्मक निबंध, ५९१ ; बदरीनारायण चौधरी का कार्य, ५९२-९३ ; कविता में प्राकृतिक दृश्यों की संश्लिष्ट योजना, ५९४-९५; नए विषयों पर कविता, ५९६; खड़ी बोली कविता का विकास-क्रम, ५९६ ९९ ।