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हिंदी-साहित्य का इतिहास

की होगी जिस-ढंग की वीरगाथा-काल में हुआ करती थी । अतः प्रत्येक काल का वर्णन इस प्रणाली पर किया जायगा कि पहले तो उक्त काल की प्रवृत्तिसूचक उन रचनाओं का वर्णन होगा जो उस काल के लक्षण के अंतर्गत होंगी ; पीछे संक्षेप में उनके अतिरिक्त और प्रकार की ध्यान देने योग्य रचनाओं का उल्लेख होगा ।