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हिंदी साहित्य का इतिहास

है। एक ऋतु के उपरांत दूसरी ऋतु के आगमन पर इनका हृदय अगवानी के लिये मानों आपसे आप आगे बढ़ता था। इनकी कविता के कुछ नमूने नीचे दिए जाते हैं––

मिलि माधवी आदिक फूल के ब्याज विनोदलवा बरसायो करैं।
रचि नाच लतादन तान बितान सबै विधि चित्त चुरायो करैं॥
द्विजदेव, जू देखि अनोखी प्रभा अलिचारन कीर्ति गायो करैं।
चिरंजीवी, बसंत! सदा द्विजदेव प्रसुनन की भरि लायो करैं॥


सुरही के भार सूधे सबद सुकीरन के,
मंदिरन त्यागि करैं अनत कहूं न गौन।
द्विजदेव त्यौं ही मधुभारन अपारन सों
नेकु झुकि झूमि रहें मोगरे मरुअ दौन॥
खोलि इन नैनन निहारौं तौ निहारौं कहा?
सुषमा अभूत छाय रही प्रति भौन भौन।
चाँदनी के भारन दिखात उनयो सो चंद,
गंध ही के भारत बहन मंद मंद पौन॥


बोलि हारे कोकिल, बुलाय हारे केकीगज,
सिखै हारी सखी सब जुगुति नई नई।
द्विजदेव की सौं लाज-बैरिन कूसंग इन
अंगन हू आपने अनीति इतनी ठई॥
हाय इन कुंजन तें पलटि पधारे स्याम,
देखन न पाई वह मूरति सुधामई।
आवन समैं में दुखदाइनि भई री लाज,
चलन समैं में चल पलन दगा दई॥