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'मेरे वंश के प्रवर्तक ब्रह्मराव जगात (अथवा प्रथ जगात) गोत्र के प्रथम कवि थे। उनके प्रसिद्ध वश में सुंदर और प्रख्यात बंद हुआ, जिसको पृथ्वीराज (११९० ई० में उपस्थित ) ने ज्वाला देश दिया। उनके चार पुत्र थे,जिनमें सबसे बड़ा 'नरेश' रूप में उनका उत्तराधिकारी हुआ। दूसरा गुणचंद्र था,जिसका पुत्र शीलचंद्र हुआ, पुनः जिसका [ शीलचंद्र का ] पुत्र वीरचंद्र था ।यह अंतिम [ वीरचंद्र ] रणथंभौर नरेश हम्मीर के साथ खेला करता था। उसके वंश में हरिचंद्र पैदा हुआ, जो आगरा में रहता था। हरिचंद्र का वीर पुत्र गोपाचल में रहता था, जिसके सात पुत्र थे-(१) कृष्णचंद्र, (२)उदारचंद, (३) जरूपचंद (अथवा संभवतः रूपचंद), (४) बुद्धिचंद, (५) देवचंद, (६)१ संसृतचंद, और (७) स्वयं मैं सूरजचंद । मेरे छह भाई मुसलमानों से युद्ध करने में मारे गए। केवल मैं, अन्धा' और अयोग्य सूरजचंद, बच रहा । मैं एक कुँए में गिर गया, और यद्यपि मैंने सहायता के लिए पुकारा, किसी ने नहीं बचाया । सातवें दिन जदुपति (कृष्ण ) आए और मुझे बाहर खींचा, तथा मुझे अपना दर्शन देकर (अथवा मुझे मेरी देखने की शक्ति प्रदानकर ) कहा, "पुत्र, जो चाहो, वर माँगो ।” मैंने कहा,"प्रभु, मैं शत्रु विनाश के लिए पूर्ण भक्ति का वरदान माँगता हूँ, और चूकि मैंने अपने प्रभु का दर्शन कर लिया है, मेरी आँखें अब और कुछ न देखें ।।जैसे ही करुणासिंधु ने सुना, वह बोले, "एक्मस्तु । दक्षिण के एक प्रबल

१.'राव' उपाधि से यह संभावना है कि यह या तो राजा' था अथवा गुणगायक भाट । २. यह वंश पंडित राधेस मिसर द्वारा प्रस्तुत सारस्वत ब्राम्हणों की वंशावली में नहीं है। जगात अथवा जतिया का अर्थ है प्रशंसा करने वाला। ३. अथवा संभवत: भावचंद, यदि हम 'भौ' (हुआ, था) को भाव का संक्षिप्त रूप मानें.। ४. रणथंभोर का प्रसिद्ध राजा, जिसपर अलाउद्दीन खिलजी ने भाक्रमण किया था और जिसकी आ१००० पत्नियां सती हुई थीं। उसकी मृत्यु तिथि १३००ई० के लगभग है । . ५. उसके पुत्र का नाम संभवतः रामचद्र था जिसको उसने बैष्णव परंपरा के अनुसार रामदास में बदल दिया। किंतु उक्त अंश का एक संभावित अनुवाद उसका नाम वीर (चंद्) देता है। ६. अक्षरशः या आलकारिक रूप से। उनकी असंदिग्ध अंधता के कारण अब . प्रत्येक गानेवाला अंधा भिखारी अपने को सूरदास कहता है। . ७. यह अक्षरशः लिया जा सकता है अर्थात् वह एक कुएँ में गिर गए, अथवा, आलंकारिक रूप से, वह पापी थे। ८. अथवा आलंकारिक रूप से, सात दिनों के आंतरिक संघर्ष के बाद मैं भक्त हो गया और मुझे मोक्ष मिल गया। ९, वुरे विचारों के 'शत्रु' अथवा संभवत: मुसलमान (शत्रु)