पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/११

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यों ही छोड़ दिया गया है। सरोजकार का 'उ०' से अभिप्राय 'उपस्थित' है, यह मैंने 'सरोज सर्वेक्षण' की भूमिका में पूर्ण रूप से सिद्ध कर दिया हैं। अतः जिन संवतों की जाँच संभव नहीं हो सकी हैं, उन्हें तब तक उपस्थिति-काल ही समझना चाहिए, जब तक वे अन्यथा न सिद्ध हो जायँ।

ग्रियर्सन का जीवन-परिचय बकलैण्ड कृत 'डिक्शनरी ऑफ़ इंडियन बायोग्राफ़ी' ( १९०६ ई० ) और श्री श्यामसुंदर दास लिखित 'हिंदी कोविंद रत्नमाला' प्रथम भाग ( १९०९ ई० ) के आधार पर दिया गया है। उनके साहित्य का परिचय उक्त रत्नमाला, डा० धीरेन्द्रवर्मा कृत हिन्दी भाषा का इतिहास, डा० माताग्रसाद गुप्त कृत तुलसीदास और नागरी प्रचारिणी सभा के आर्यभाषा पुस्तकालय की अँगरेजी ग्रंथ-सूची के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। जिन ग्रंथों एवं मित्रों से इस ग्रंथ के प्रणयन में सहायता मिली हैं, मैं उनके प्रति कृतज्ञता-ज्ञापन करना अपना धर्म समझता हूँ।

आश्विन नवरात्र,

२०१४

किशोरीलाल गुप्त

अध्यक्ष हिन्दी विभाग

शिबली कालेज, आजमगढ़