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रक्षित ऊघु वन है। इसी में स्वामी हरिदास की कुटिया थी, जो अब तक है। (-सर्वेक्षण ५२०)

६३. केेेशवदास-कश्मीरी । १५४१ ई० में उपस्थित ।।

राग कल्पद्रुम । परम प्रसिद्धि प्राप्त कर यह ब्रज आए और यहाँ कृष्ण चैतन्य से शास्त्रार्थ में पराजित हुए ।

टि-चैतन्य महाप्रभु की मृत्यु सं० १५८४ मैं हुई । अतः यह शास्त्रार्थ इस समय के पूर्व हुआ रहा होगा । प्रियादास के अनुसार यह शास्त्रार्थ शांतिपुर नदिया में हुआ था ( भक्तमाल की टीका, कवित्त संख्या ३३३-३५ )। (-सर्वेक्षण १२२)

६४. अभयराम कवि-ब्रजांतर्गत-वृंदावन-वासी । जन्मकाल १५४५ ई० । हजारा, राग कल्पद्रुम ।।

टि०-वृंदावनी अभयराम के संबंध में कोई जानकारी सुलभ नहीं । सरोज में इन्हें सं० १६०२ में '०' कहा गया है। यह 'उ.' 'उपस्थिति का सूचक है, न कि 'उत्पत्ति' का, जैसा कि यहाँ स्वीकार किया गया है।

६५. चतुर बिहारी कवि-ब्रजवासी ! जन्मकाल १५४८ ई० । | राग कल्पद्रुम । यही संभवतः शिवसिंह द्वारा बिना तिथि दिए हुए उल्लिखित चतुर कवि और चतुर बिहारी भी हैं ।

टि०--सरोज में इन्हें सं० १६०५ में उ० कहा गया है । इसी को यहाँ १५४८ ई० में उत्पन्न बना दिया गया है। सरोज के चतुर ( सर्वेक्षण २२८).और चतुर विहारी ( सर्वेक्षण २२९) इन भक्त चतुर बिहारी से भिन्न हैं। सरोज के ये कवि कवित्त सवैये लिखनेवाले रीतिकालीन शृङ्गारी कवि हैं।

६६. नारायन भट्ट--व्रजांतर्गत ऊँचगाँव बरसाना के निवासी । जन्मकाल राग कल्पद्रुम । यह बहुत ही पवित्र पुरुष थे ।

६७. इब्राहीस-सैयद इब्राहीम उपनाम रसखान कवि, हरदोई जिले के अंतर्गत पिहानी के रहनेवाले । जन्मकाल १५७३ ई०। सुंदरी तिलक। यह पहले सुसलमान थे, बाद में वैष्णव होकर ब्रज में रहने लगे थे। इनका वर्णन भक्तमाल में है। इनकी कविताएँ माधुर्य से भरी कही जाती हैं | इनके एक शिष्य कादिर बख्श (संख्या ८९) थे।

टि०--रसखान दिल्ली के पठान थे, पिहानी के नहीं। सरोज में दिया संवत १६३० रेसान का रचनाकाल है। ग्रियर्सन ने इसे जन्मकाळ मानकर भ्रम की ही सृष्टि की हैं। (सर्वेक्षण ७४५)