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टि०-१५६८ ई० या सं० १६२५ उपस्थिति काल है। जमाल और जमालुद्दीन की अभिन्नता की संभावना ठीक है। -सर्वेक्षण २८०,२९४

८६. नन्दनं कवि-जन्म १५६८ ई० ।

हजारा ।

८७. खेम कवि-ब्रजवासी, जन्म १५७३ ई० ।

राग कल्पद्रुम् । इन्होंने नायिकाभेद' लिखा। यह संभवतः वही हैं, जिनका उल्लेख शिवसिंह ने दोआब वासी छेम' नाम से किया है। देखिए संख्या १०३, और ३११ ।

टि०- खेम व्रजवासी के सम्बन्ध में निश्चित रूप से कुछ ज्ञात नहीं । यह कृष्णभक्त थे। इन्होंने नायिका भेद का कोई अंथ लिखा होगा, न तो इसकी संभावना है, और न अन्यन्न कहीं ऐसा उल्लेख ही मिलता है। सरोज( सर्वेक्षण १४६ ) के अनुसार १५७३ ई० या सं० १६३० में यह ‘उ०'अर्थात् उपस्थित थे। दोआब वाले कवि का नाम छम नहीं है, छेमकरन ३( सर्वेक्षण २४४ ) है, इनकी छाप छेम' है, जो 'खेम' भी हो सकती है। पर दोनों कवियों की अभेदता के सम्बन्ध में कुछ कहना संभव नहीं ।

८८. शिव कवि-जन्म १५७४ ई० |

हजारा, सुन्दरी तिलक ।

टि०-- इनको सं० १७५० के. पूर्व उपस्थित माना जा सकता है। इससे अधिक इनके विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता। -सर्वेक्षण ९३४

८९. कादिर बखस---पिहानी जिला हरदोई के मुसलमान । जन्म १५७८३० } कुशल कवि । यह सरस कवि सैयद इब्राहीम पिहानी वाले के शिष्य थे।

टि०-१५७८ ई० या सं० १६३५ कादिर को उपस्थितिकाल है, क्योंकि इनके काव्य गुरु रसखान का रचनाकाल भी प्रायः यही है । -सर्वेक्षण ७८

९०, अमरेश कवि-जन्म १५७८ ई० | ____________________________________________________________

१. जब यह कहा जाता है कि किसी कवि ने लवर्स (Lovers ) पर लिखा है, तब इसको देशी लेखकों द्वारा लिखित "उसने नायक मेद या नायिका भेद लिखा' इस मंतव्य का अनुवाद समझना चाहिए। यह सब उन ग्रंथों के पारिभाषिक नाम हैं जिनमें विभिन्न प्रकार के ( heroes ) और ( heroines ) वर्णित हैं तथा बहुत दूर तक सूक्ष्मातिसूक्ष्म, यहां सके कि कभी-कभी व्यर्थ, विभेदों में विभक्त हैं। इसका एक 'विकास नखशिख है, जिसके उदाहरण आगे मिलेंगे। इसमें नायक नायिका के अंग प्रत्यंग का पैर के नख (toe naile) से शिखा ( top knot ) तक का वर्णन रहता है।