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अत्यन्त अच्छे कवि के रूप में प्रसिद्ध । इनकी बहुत सी रचनाएँ . हजारा में हैं।

टि–इनके सम्बन्ध में अधिक से अधिक इतना ही कहा जा सकता है।

कि यह सं० १७५० के पूर्व उपस्थित थे। -सर्वेक्षण ११

९१. निहाल-प्राचीन । जन्म १५७८ ई० ।

टि-सरोज ( सर्वेक्षण ४४३ ) में निहाल प्राचीन को सं० १६३५ में उ० कहा गया है।

९२. घनश्याम सुकल-असनी जिला फतहपुर के । जन्म १५७८ ई०। हजारा, सुन्दरी तिलक । यह बाँधव ( रीवों) नरेश के दरबारी कवि थे।

टि०-रीवा नरेश के दरबारी धनश्याम शुक्ल सं० १७३७ के लगभग . उत्पन्न हुए और सं० १८३५ तक वर्तमान रहे । हजारों में इनकी कविता नहीं हो सकती । हजारा वाले घनश्याम दूसरे होंगे, जो सं० १७५० के पूर्व वर्तमान.थे। इनके सम्बन्ध में इतना ही कहा जा सकता है। -सर्वेक्षण २११

९३. चन्दसखी-व्रजवासी । जन्म १५८१ ई० ।

रागकल्पद्रुम । यही संभवतः शिव सिंह द्वारा उल्लिखित 'चन्द कवि' और हजारा तथा सुन्दरी तिलक में उद्धृत चन्द कवि भी हैं।

टि-चन्द सखी ब्रजवासी राधावल्लभ संप्रदाय के प्रसिद्ध भक्त कवि हैं। यह १८ वीं शती के मध्य में उपस्थित थे। यह सरोज के चन्द कवि ४ ( सर्वेक्षण २२०) से निश्चित रूप से भिन्न हैं। इन्हीं शृंगारी चन्द की रचनाएँ हजारा में थीं।

९४. मुबारक अली-बिलग्रामी, जिला हरदोई वाले। जन्म १५८३ ई०। ' सुंदरी तिलक । यह लोगों की जबान पर चढ़ी हुई और प्रचलित सैकड़ों कविताओं के सुप्रसिद्ध रचयिता हैं।

टि०-यह केवल मुबारक के नाम से प्रसिद्ध हैं।

९५, नागर कवि–जन्म १५९१ ई० ।

हजारा। संभवतः वही जिनका उल्लेख राग कल्पद्रुम की भूमिका में 'नागरीदास' नाम से हुआ है।

टि०-१५९१ ई. या सं० १६१८ वाले कवि का नाम सरोज में नागरीदास ही दिया हुआ है। यह प्रसिद्ध कृष्णगढ़ नरेश महाराज सावंतसिंह हैं, जिनका जन्म सं०.१७५६ में एवं मृत्यु १८२१ में हुई। अतः सरोज और ग्रियर्सन को समय' अशुद्ध है। इन नागरीदास की रचना हजारों में नहीं हो सकती। हजारा में विहारिनिदास के शिष्य नागरोदास (सं० १६०० के