पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
(११५)


अकबर की रचनाओं में आवश्यक नहीं कि ‘अकबर राय' ही छाप हो। शाह अकबर भी छाप है। जिन रचनाओं में अकबर सम्बोधित है, वे अन्य की हो सकती हैं। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि अकबर ने छन्द रचना की ही नहीं । उसकी रचनाओं को अकबर संग्रह” नाम से भयाशंकर याज्ञिक ने संकलित किया है। -सर्वेक्षण १

१०५. टोडरमल खत्री-जन्म १५२३ ई० ।

अकबर बादशाह के प्रसिद्ध मंत्री । गलती से यह पैजाबी कहे जाते हैं क्योंकि मासिरुल उमरा के अनुसार यह लाहौर में पैदा हुए थे, वस्तुतः यह अवध के अंतर्गत लहरपुर में उत्पन्न हुए थे ( देखिए, आईन-ए-अकबरी,व्लाचमैन कृत अनुवाद, पृष्ठ ६२० )।

इन्होंने भागवत पुराण का फारसी में अनुवाद किया। इनकी भाषा में सर्व प्रसिद्ध रचनाएँ नीति संबंधी हैं । इनकी मृत्यु ९९८ हिजरी ( १५८९ ई० ) में हुई, इनके जीवन के लिए देखिए आईन-ए-अकबरी पृष्ठ ३५१ | हिंदुओं को फ़ारसी सीखने के लिए तय्यार करने में इनका प्रभाव था, जो ध्यान देने योग्य है, क्योंकि यह उर्दू के निर्माण और स्वीकरण का मूल कारण है।

टि-ग्रियर्सन ने सरोज में दिए 'सं० १५८० में उ०' को विक्रम संवत मैं उत्पत्तिकाल मानकर इनका जन्मकाळ १५२३ ई० दिया है। वस्तुतः सरोज.मैं दिया समय १५८० ईस्वी सन मैं कवि को उपस्थिति काल है । इनका जन्मकाल अभी तक अज्ञात है। –सर्वेक्षण ३०८

१०६. बीरबल---राजा बीरबल, उर्फ बीरवर, उर्फ महेसदास, उर्फ ब्रह्म कवि, उर्फ कविराय । जन्म १५२८ ई० के आसपास ।

काव्य निर्णय, सुंदरी तिलक | अकबरी दरबार के कविराय और प्रसिद्ध मंत्री । यह अपनी दानशीलता के लिए जितने प्रसिद्ध थे, उतने ही अपनी संगीत निपुणता और काव्य-प्रतिभा के लिए भी। इनकी छोटी कविताएँ, हाजिर जवाबी के चुटकुले और दिल्लगियों आज भी हिंदुस्तान में लोगों की जबान पर हैं। कट्टर मुसलमानों द्वारा यह बड़ी घृणा की दृष्टि से देखे जाते थे, क्योंकि उनका यह विश्बास था कि इन्हीं के प्रभाव के कारण अकबर इसलाम से विरक्त हो गया था । शिवसिंह के अनुसार यह संवत १५८५ (१५२८ ई० ) में पैदा हुए थे । ब्लाचमैन आईन-ए-अकबरी के अपने अनुवाद में इस विषय को अंधकार ही में छोड़ देता है। इनका असली नाम महेशदास था । यह

हमीरपुर जिले के अंतर्गत कालपी के रहनेवाले 'कान्यकुब्ज दूबे ब्राह्मण थे ।