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जीवन का पूर्ण वृत्तांत दिया गया है)। यह अकबर के सेनापति थे, पहले काबुल, सीमा प्रदेश में, फिर बिहार में । यह दकन में १६१८ ई० में दिवंगत हुए, जब कि इनकी १५०० पत्तियों में से ६० जल मरीं। जिस भूमि पर आगरे का ताज खड़ा हुआ है, वह मानसिंह की थी। इनके दरबारी कवियों ने‘मान चरित्र लिखा है, जो इनके जीवन और युग का पूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है। (देखिए टाड का राजस्थान, भाग १, अध्याय १५, और भाग २, पृष्ठ ३५३; कलकला संस्करण भाग २, पृष्ठ ३९०) ।

टि-सरोज में दिया सं० १५९२ ईस्वी सन में मानसिंह का उपस्थिति काल है। यह विक्रम संवत में उत्पत्तिकाल नहीं है, जैसा कि ग्रियर्सन में स्वीकार कर लिया गया है। -सर्वेक्षण ७१५

११०. अबुल फैज~-उपनाम फ़ैजी । जन्म १५४७ ई० ।

यह प्रसिद्ध शेख मुबारक का पुत्र, अबुल फजल का भाई और अकबर का मित्र था। यह ९५४ हिजरी (१५४७ ई०) में उत्पन्न हुआ था। देखिए,आईन-ए-अकबरी का ब्लाचमैन कृत अनुवाद, पृष्ठ ४९०१ यह संस्कृत,का अच्छा विद्वान और भाषा के अने फुटकर दोहों का रचयिता था ।

१११. फहीम-जन्म १५५० ई० के आसपास ।

शिवसिंह के अनुसार यह फैजी और अबुलफजल का छोटा भाई था। जो हो, मुझे आईन-ए-अकबरी में इसका उल्लेख नहीं मिला। यह अनेक फुटकर भाषा दोहरों का रचयिता है।

टि०-फहीम, अबुल फजल का उपनाम है । यह फ़ैज़ी के छोटे भाई थे । ग्रियर्सन ने सरोज को समझने में भूल की है। सरोज का लेख यह हैं-

"फहीम, शेख अबुलफजल, फ़ैज़ी के कनिष्ठ सहोदर ।"

११२. रामदास-बाबा रामदास, गोपाचल वाले । १५५० ई० में उपस्थित ।

राग कल्पद्रुम । यह सूरदास ( संख्या ३७ ) के पिता और अकबरी दरबार के गायकों में से एक थे । देखिए आईन-ए-अकबरी (व्लाचमैन का अनुवाद) पृष्ठ ६१२ । बदाऊनी के अनुसार यह लखनऊ से आए। ऐसा प्रतीत होता है यह बैरमों के विद्रोह के समय उसके यहाँ थे, और एक बार, जब बैरमखों का खजाना खाली हो गया था, तब भी एक लाख तनखाह पाया था। यह पहले इसलामशाह के दरबार में थे । अकबरी दरबार के सर्वश्रेष्ठ गायक तानसेन (संख्या ६०) के बाद दूसरे स्थान पर यही समझे जाते थे।