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टि०-यह सूरदास और रामदास प्रसिद्ध कवि सूर और उनके पिता से मिन्न है।

११३. नरहरि सहाय---फतहपुर जिले के अंतर्गत असनी के भाट, महापात्र की उपाधि से युक्त। १५५० ई० में उपस्थित।

१ राग कल्पद्रुम। यह अकबरी दरबार के कवि थे। असनी गाँव इन्हें माफी मिला था। एक विचित्र दंत-कथा के अनुसार जन शेरशाह ( उपस्थित १५४० ई० ) ने हुमायूँ को हराया, अपनी चोली वेगम को दिल्ली में छोड़कर, वह पश्चिम भाग गया। बेगम विजयी शेरशाह द्वारा पकड़ ली गई। कुछ ही दिनों बाद नरहरि की कविता से प्रसन्न होकर, शेरशाह ने उससे कुछ मांगने के लिए कहा। भाँट ने चोली बेगम को माँग लिया। बादशाह ने स्वीकार कर लिया। नरहरि चोली को बांधो (रीवा) ले गया, जहाँ शीघ्र ही उसने अकबर को जन्म दिया। इस दंतकथा के विवरण निश्चय ही अशुद्ध हैं, क्योंकि अकबर मारवाड़ के अन्तर्गत अमरकोट में पैदा हुआ था। जो हो, वह बांधों के राजा से लड़कपन से ही परिचित प्रतीत होता है। मिलाइए संख्या ३४। देखिए रिपोर्ट आफ आर्केआलोजिकल सर्वे आफ इण्डिया, अंक १७, पृष्ठ १०१, अंक २१ पृष्ठ १०९। नरहरि के बेटों में से एक कवि हरिनाथ ( संख्या ११४ ) थे। नरहरि के वंशज अब भी बनारस में, रायबरेली जिले के अंतर्गत बेंती में, और हिन्दुस्तान के अन्य भागों में बिखरे हुए हैं। असनी अब इनके वंशजों के अधिकार में नहीं है और इनका असली घर गंगा की धारा में बह गया है। इनके घर के खंडहर अब रोड़े के रूप में बिक रहे हैं और दिन में ही वहाँ गीदड़ और अन्य वीभत्स जानवर विचरण किया करते हैं । यद्यपि इस कवि का कोई पूर्ण ग्रंथ बचा नहीं है, फिर भी इनकी बहुत सी फुटकर रचनाएँ उद्धृत की जाती हैं।

अकबर ने यह कहकर कि अन्य भाट गुण के पात्र हैं, यह महापात्र हैं, इन्हें महापात्र की उपाधि दी थी।

यह संभवतः वही नरहरिदास हैं, जिनका उल्लेख राग कल्पद्रुम की भूमिका में हुआ है।

टि०--अन्यत्र इनका नाम नरहरिराय या केवळ नरहरि मिलता है। यह रागकल्पद्रुम वाले नरहरिदास से भिन्न हैं।

११४. हरिनाथ कवि---असनी फतहपुर के भाँट हरिनाथ, महापात्र उपाधिधारी, १५८७ ई० में उपस्थित।