पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१३३

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( १२२ ) ११९ गंगा परसाद--ब्राह्मण, सामान्यतया गैग कवि के नाम से प्रसिद्ध है। जन्म १५३८ ई० ।। सुंदरीतिलक । यह एकनौर जिला इटावा के ब्राह्मण थे । यह अकबरी' दरबार से संवैधित कवि थे । इन्होंने बीरबल, खानखाना और अन्यों से अनेक पुरस्कार पाए थे 1 आईन-ए-अकबरी के ब्लाचमैन वाले अनुवाद में इनका । इबोला नहीं है । कैप्टेन प्राइस ने लिखा है कि इन्होंने १५५५ ई० में कोई अलंकार ग्रंथ लिखा था । (हिंदी ऐंड हिंदुस्तानी सिलेक्शन्स, भूमिको पृष्ठ १०) । देखिए गास द तासी भाग १, पृष्ठ १८२ ।। | पुनश्चः खूबचंद (सं० ८०९) के एक कवित्त से ज्ञात होता है कि एक बार खानखानाः ( सं ० १०८) ने गंग को ३६ लाख का पुरस्कार दिया था । निश्चय ही गंग ने खानखाना की प्रशंसा अपनी रचनाओं में से एक में की है । टि-गंग की जन्मकाल सरोज के आधार पर दिया गया है ! सरोज मैं दियो सं० १५९५ ईस्वी सन् मैं कवि को उपस्थिति काल है। अतः १५३८ ई० इनका जन्मकाल नहीं हो सकता। गंग ने कोई अलंकार ग्रंथ लिखा, इसका कोई प्रमाण नहीं । इनके फुटकर छंद ही मिलते हैं। -सर्वेक्षण १४८ १२०. जैत कवि-जन्म १५४४ ई०।। यह बादशाह अकबर के दरबार में आते जाते थे। यह संभवतः वही जैतराम कवि हैं, जिनका उल्लेख शिवसिंह ने बिना कोई तिथि दिए हुए शांत- रस के कवि के रूप में किया है । टि०--- जैत का जन्मकाल १५४४ ई० सरोज के सं० १६०१ मैं उ०' के अधार पर दिया गया है। सरोज का संवत ईस्वी सन् में उपस्थिति काळ है। अतः ग्रियर्सन का संवत ठीक नहीं । यह जैत ( सर्वेक्षण २७३ ), जैतराम से भिन्न हैं । जैतराम का रचनाकाल सं० १७९५ है। यह भक्त कवि थे। १२१. अम्रित कवि-जन्म १५४५ ई० ।। १२२. जगन्नज कवि---(१) १५७५ ई० में उपस्थित । । १२३. जगामा-(१) १५७५ ई० में उपस्थित । .. ये तीनों बादशाह अकबर के दरबार में जाया करते थे । टि०—-अमृत - कृवि का सरोज में दिया संवत १६०२ ईस्वी सन में उप- स्थितिकाल है। अत: ग्रियर्सन में दिया इनका जन्मकाल १५४५ ई० ठीक नहीं । जगन्नज और जगमग अकबरी दरबार के कवि हैं। इनका उपस्थितिका १५५६-५६०५ के बीच होना चाहिए । व्यर्थ के लिए ग्रियर्सन ने १५७५ ई०