पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१३४

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( १२३ ) के पहले संदिग्धता का चिह्न लगा दिया है। सरोज में जगन्नज हैं नहीं: और जगमग का कोई समय नहीं दिया गया है। १२४. लछमीनारायन--मैथिल १६०० ई० में उपस्थित ।। १२५. परसिद्ध कवि---प्राचीन, जन्म १५३३ ई० ।। ये दोनों अब्दुर्रहीम खानखाना ( संख्या १०८ ) के दरबारी कवि थे । | दि०-~- प्रसिद्ध प्राचीन का सरोज में दिया संवत १५९० ईस्वी सन में कदि । को उपस्थिति काल है। अतः ग्रियर्सन में इसी के अधार पर दिया गया। कवि का जन्मकाळ ठीक नहीं है। --सर्वेक्षण ४६० १२६. होलराय कवि-होलपुर जिला बाराबंकी के कवि और भाट होलराय । १५८३ ई० में उपस्थित । • इनके आश्रयदाता राजा हरिवंशराय थे, जो बादशाह अकबर के दीवान थे । अकबर ने इन्हें वह भू-क्षेत्र प्रदान किया था, जहाँ पर बाद में इन्होंने होलपुर गाँव बसाया। एक बार तुलसीदास ( सं० १२८ ) इस गाँव में होकर निकले और कवि होलराय को अपना पीतल को लोटा दिया, जिसको उन्होंने देवता के समान प्रतिष्ठित कर दिया और पूजा करने लगे । यह अब भी वहाँ है; और पूजा जाता है । गाँव अब भी होलराय के वंशजों के अधीन है । गिरिधर ( सं० ४८३ ), नीलकंठ ( सं० १३२ ), लछिराम (सं० ७२३) और संत बकस ( सं० ७२४ ) आदि सभी इसी गाँव के रहनेवाले थे । १२७. मुकुंद सिङ्घ हाड़ा-कोटा के राजा, जन्म १५७८ ई० ।। शाहजहाँ (१६२८-१६५५ ई०) के सहायक । कवियों के आश्रयदाता होने के साथ साथ यह कवि भी थे। देखिए, टाड, भाग २, पृष्ठ ५०६; कलकत्ता संस्करण भाग २, पृष्ठ ५५३ ।। | टि०----सरोज में उद्धृत इनकी कविता के उदाहरण मैं जो छैद दिया गया है, वह भूषण के नाम से भी प्रसिद्ध है और छत्रसाल दशक में संकलित हैं। यदि मुकुंद नाम का कोई कवि हुआ भी है, तो वह हाड़ा वंश का राजा नहीं था, वह हाड़ा राजाओं का कोई कीर्तिगायक कवि था । उक्त छंद में औरंगजेब और दारा का युद्ध वर्णित है । अतः इस कवि का रचनाकाळ १६५८ ई० के आसपास होना चाहिए और जन्मकाल १६२५ ई० के आसपास !