पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

। - .. सूझ न एक अंग उपाऊ . ', 'सनमति रंक मनोरथ राऊ । . . छमिहहिं सज्जन मोरि ढिठाई सुनिहहिं बाल बचन मन लाई जो बालक कह तोतरि बाला सुनहिं मुदित मन पितु गुरु माता कालिदास ने राम से खूटी का काम लिया, जिस पर वे अपनी मधुर रचनाएँ लटका सकें, पर तुलसी ने चिर सौरभ की माला गॅथी और जिस देवता की भक्ति वे करते थे, उसके चरणों पर उसे दीनता पूर्वक चढ़ा दी । • अब मैं एक और बात पर बल देना चाहता हूँ, जो, मेरा खयाल है कि इस कवि के भारतीय विद्यार्थियों की भी दृष्टि से बच गई है। संभवतः यह एक मात्र बड़े भारतीय कवि हैं जिसने अपनी उपमाएँ सीधे प्रकृति की पुस्तिका से ली हैं, न कि अपने पूर्वगामी अन्य कवियों से । यह स्थूल वस्तुओं के इतने सूक्ष्म द्रष्टा थे कि इनके बहुत से सत्यं और सरलतम पद्यांश इनके उन टीकाकारों की समझ में नहीं आए, जो वस्तुतः विद्वान मात्र थे और जो अपनी ऑखें पुस्तकों से बन्द किए हुए, अपने चतुर्दिक स्थित सुन्दर संसार में विचरण करते थे । इमें जानते हैं कि शेक्सपियर ने विलो की पत्तियों के जल में पड़ने वाले उज्ज्वल प्रतिबिंब का उल्लेख किया है और इस प्रकार अपने सभी संपादकों को परेशान किया था, जो अपनी सारी विद्वत्ता लिए हुए कहते थे कि विलो की पत्तिय तो हरी होती हैं । मेरा खयाल है कि सबसे पहले चाल्स लैम को सूझी की नदी के किनारे चला जाये और देखा जाय कि शेक्सपियर १... ग्रियर्सन ने ये पंक्तियाँ न देकर इनका निम्नांकित अँगरेजी अनुवाद दिया है--अनुवादक . : *My intellect is beggarly, while my ambition is imperial. . May good people all perdon my presumption and listen to my childish babuling, as a father and mother delight to | hear the lieping practice of their little one.” २. गया जिले के अंतर्गत दाऊद नगर के रहने वाले बाबू जवाहिर ल्ल ने मुझे सूचित किया । :: है कि वे एक वृद्ध को जानते हैं जिसके पूर्वज कवि से परिचित थे और तुलसीदास ने इनके उस पूर्वज से कहा था कि मैंने कभी भी एक पंक्ति नहीं लिखी, जिसमें 'र' या .. 'म' (. राम' शब्द के प्रथम एवं अंतिम. अक्षर ) न आया हो । ( यदि यह सत्य है, तो) यह एक अमूल्य कसौटी है; जिसपर संदिग्ध अंशों की जांच की जा सकती है कि वे अक्स हैं या नंकल ।