पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१४६

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( १३५ ) उल्लेख मैं कर चुका हूँ, रामचरित मानस का. एक संस्करण प्रकाशित करने जा रहे हैं। . इस अध्याय के परिशिष्ट में मैं पूर्वोल्लिखित बनारस और राजापुर की प्रतियों के आधार पर रामचरित मानस के असली पाठ का नमूना दे रहा हूँ, साथ में मूल का फोटो भी लगा हुआ है। पाद टिप्पणियों में प्राप्त प्रतियों का पाठ भेद भी दिखाया गया है। मैं इन फोटोग्राफों के लिए राजाशिवप्रसाद सी. एस. आई. की उदारता का आभारी हूँ। १२९. निपट निरंजन कवि-जन्म १५९३ ई०। ___ कव्य निर्णय | शिवसिंह के अनुसार यह तुलसीदास के ही समान बड़े महात्मा थे । सैकड़ों फुटकर रचनाओं के अतिरिक्त, जो कि अभी तक संकलित नहीं है, यह संत सरसी और निरंजन संग्रह के रचयिता हैं ! टिक-निपट निरंजन औरंगजेब के शासनकाल (सं० १७१५-६४ वि०) में हुए। प्रियर्सन का समय अशुद्ध है। -सर्वेक्षण ३८९ १३०. बेनीमाधवदास-पसका, जिला गोंडा के । १६०० ई० में उपस्थित । यह गोसाई तुलसीदास के शिष्य थे और लगातार उनके साथ रहते.थे, इन्होंने उनका जीवन चरित्र गोसाई चरित्र' नाम से लिखा था। (इस ग्रंथ में ग्रियर्सन ने इसका संकेत 'Go' से किया है)। यह १६४२ ई० में मरे । १३१. निधि कवि:-१६०० ई० में उपस्थित । • गोसाई चरित; (१) राग कल्पद्रुम । १३२. नीलकंठ मिसर-दोआब के । १६०० ई० में उपस्थित । गोसाई चरित, काव्य निर्णय। . . टि-दास के काव्य-निर्णय के भ्रांत आधार पर इस कवि का अस्तित्व निर्भर है। वस्तुतः इस नाम का कोई कवि नहीं हुआ। --सर्वेक्षण ४१८. १३३. नीलाधर कवि-१६०० ई० में उपस्थित । गोसाई चरित; काव्य निर्णय । - टिo-दास ने 'लीलाधर कवि का नाम लिया है, न कि नीलाधर का । ____वस्तुतः इस नाम का कोई कवि नहीं हुआ। -सर्वेक्षण ४६