पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कालेज डबलिन से डी० लिट० की उपाधियाँ मिली थीं। इन्हें 'सर' का खिताब भी मिला हुआ था। इनका सारा साहित्यिक कार्य हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं से संबंधित है। पर यह सबका सब अँगरेजी में है और अँगरेजों के लिए लिखा गया है । इस हिन्दी प्रेमी अंग्रेज का देहावसान ९० वर्ष की वय में ८ मार्च १९४१ ई० को हुआ । इनका साहित्यिक कार्य १९३२ ई० के आसपास तक चलता रहा। ग्रियर्सन की साहित्य सेवा ग्रियर्सन के सर्वाधिक महत्व के तीन कार्य हैं, एक है भारतीय भाषाओं का सर्वेक्षण, दूसरा है हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास 'द माडन वर्नाक्युलर लिटरेचर आफ़ हिन्दुस्तान' और तीसरा कार्य है तुलसीदास का वैज्ञानिक : अध्ययन 1 ग्रियर्सन की इन तीनों रचनाओं ने हिन्दी साहित्य को बहुत प्रभावित किया है। ग्रियर्सन ने भारतीय भाषाओं के सर्वेक्षण का कार्य उन्नीसवीं शती के अन्तिम दशक के मध्य में प्रारम्भ किया था। यह ग्रन्थ जितना विशालकाय है, उतना ही महत्वपूर्ण भी। यह ग्यारह बड़ी बड़ी जिल्दों में है। कई जिल्दें तो कई कई भागों में विभक्त हैं। यह विशाल ग्रन्थ भारतीय सरकार के केंद्रीय प्रकाशन विभाग की कलकत्ता शास्त्र के द्वारा प्रकाशित हुआ था। इसमें भारतीय भाषाओं, उप-भाषाओं और बोलियों के उदाहरण संकलित हैं और इन्हींके आधार पर उनका संक्षिप्त व्याकरण दिया गया है। इसकी जिल्द ६ में पूर्वी हिन्दी और जिल्द ९ भाग १ में पश्चिमी हिन्दी का विवेचन है। हिन्दी की विभिन्न बोलियों का ठीक ठीक रूप एवं सीमा निर्धारण सबसे पहले इन्हीं जिल्दों में मिलता है। प्रत्येक जिल्द में भाषा-सीमा-निर्धारक उपयोगी मानचित्र भी दिए गए हैं। इस ग्रंथ की विभिन्न जिल्दों की तालिका नीचे दी जा रही है :-- जिल्द १- भाग १- भूमिका--भारतीय आर्य भाषाओं के इतिहास का सबसे . प्रामाणिक और क्रमबद्ध वर्णन-प्रकाशनकाल १९२९ ई० भाग २-तुलनात्मक शब्दावली-~- " १९२८ ई० जिल्द २-~-मांखमेर, स्यामी और चीनी भाषा परिवार--- " १९०४ ई० • जिल्द ३---भाग १-सामान्य भूमिका और तिब्बती, ... हिमालयी और उत्तरी असम भाषा परिवार, १९०९ ई० भाग २- बोडो, नागा, कुचीन भाषा परिवार "१९०३ ई० • भाग ३-कुचीन और बर्मा भाषा परिवार , १९०४ ई०. .