पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१६१

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( १५० ) .. . . Kasi Das, Son of Basudewa ( by the hand of मथुरा) Khargman son of. GoBein Jus Ram De0 8on of Bisambhar : Sri K.ant Pande ( पाँडे ) son of Raj Baktras (१) Bithal Das son of Haliba Hitra 80n of Dasarath : Lohag 8on of Kisana . Man Bay Son of Sital Krishna Datta Son of Bhagawan Binaraban 8on (of Jai Dhani Ran 8on of Madhu Rai (Arabic ) witnesses to whatsoever is in this, Pahir, son of Khawaj Daulthi, the Qanungo. | इस प्रसंग में यह अनुमान करना कि आनंद राम का पिता और कन्हई का पितामह यह टोडरमल कौन था । बड़ी मनोरंजक है। क्या यह 'अकबर का महान अर्थ मंत्री टोडरमल ( सं० १०५ ) हो सकता है ? उन टोडरमले का देहावसान १५८९ ई० में हो गया था, १६१२ में उनके पुत्र जीवित रह सकते हैं। वह लहरपुर अवध में उत्पन्न हुए थे और इस पंचायतनामे में , उल्लिखित एक गाँव लहरता का भी कुछ वैसा ही नाम है। भारत में पड़ोसी गाँवों के प्रायः एक से नाम होते हैं । | टि०–ग्रियर्सन को इन टोडर का ठीक पता न था । अह टोहर ऊपर वर्णित प्रसिद्ध टोडरमल ले भिन्न हैं। यह काशी में ही असी के रहनेवाले, तुलसीदास के पड़ोसी और स्नेही जमींदार थे। इन्हीं की जमींदारी का . बँटवारा तुलसी ने राया था। इन्हीं की मृत्यु के अनंतर उन तुलसी ने भी नर-काव्य किया था, जिनके अनुसार--- कीन्हे प्राकृत जन गुन गाना । • सिर धुनि गिरा लागि पछितांना । इसी ले टोडर के प्रतिं तुलसी का स्नेह आँका जा सझता हैं । तुलसीदास शिजते हैं--- तीन गाँव को ठाकुरो, मन को महा महीप तुलसी या कलि काल में अथयों टोडर दीप आज भी इस परिवार के लोग श्रावण श्यामा तीज को तुलसीदास के नाम पर ब्राह्मण को सीधा देते हैं।