पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रूप में उत्पन्न होंगे । ऐसा ही हुआ और उनके चार पुत्र हुए--(१) चिता- मणि, (२) भूषण, (३) मतिराम, और.(४) जटाशंकर उपनाम नीलकंठ। इनमें से अंतिम एक संत का आशीर्वाद पाकर कवि हुए, शेष तीन संस्कृत का अध्ययन कर इतने बड़े पंडित हुए कि कहा जाता है कि इनकी कीर्ति प्रलय काले तक रहेगी । सीतल और बिहारी लाल १८४४ ई० में जीवित । थे तथा रामदीन मतिराम के वंशज थे। चिंतामणि दीर्घकाल तक नागपुर में सूर्यवंशी भोंसला मकरंद शाह के दरबार में रहे। इनके नाम पर इन्होंने पिंगल का एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रंथ 'छन्द विचार' नाम का लिखा है, इन्होंने । (२) काव्य विवेक, (३) कवि कुल कंठाभरण, (४) काव्यप्रकाश और (५) एक रामायण भी लिखा । रामायण कवित्त और अन्य छन्दों में रचित सुंदर ग्रंथ हैं। इनके आश्रय दाता थेरुद्र सांहि सुलकी, बादशाह शाहजहाँ.(१६२८- १६५८ ई० ) और जैनदीन अहमद (संख्या १४४) । यह प्रायः मनिलाल छाप रखा करते थे । शिवसिह ही द्वारा उल्लिखित एक दूसरे चिंतामणि भी संभवतः यही हैं ।। टि०---नागपुर में चिंतामणि के समय में मकरंद शाह नामक कोई भौसला राजा नहीं था और न तो यह उस समय मराठों के अधिकार ही में था । यह मकरन्दशाह संभवतः शिवाजी के पितामह हैं, जो मालो जी के नाम से प्रसिद्ध हैं और झुघण ने जिनका उल्लेख ‘माल सकरन्द' नाम से किया है। | -..-सर्वेक्षण ३२१. | चिंतामणि २ .( सरोज सर्वेक्षण २२२ ) के इन सिद्ध चिंतामणि से अभिन्न होने का कोई प्रमाण नहीं ।। १४४. जैनदीन अहमद-जन्म १६७९ (१) ई० । • यह स्वयं कवि और कवियों के आश्रयदाता थे । इनके आश्रित कवियों में चिंतामणि त्रिपाठी ( संख्या १४३ } टिकमापुर वाले को उल्लेख किया जा सकता है । टि०—-यदि जैनुद्दीन अहमद चिंतामणि के आश्रयदावा हैं, तो १६७९ ई० ( सरोज सं०. १७३६ वि० ) इनका जन्मकाल कदापि नहीं हो सका । यह इनका उपस्थिति काल है। --सर्वेक्षण २६९ . १४५. भूखन त्रिपाठी-टिकमापुर जिला कान्हपुर के । १६६०ई० में उपस्थित ।। | " काव्य निर्णय, हजारा, राग कल्पद्रुम । यह चिंतामणि त्रिपाठी ( संख्या १४३) के भाई थे; और रौद्र, वीर, भयानक रस में अत्यन्त सुन्दर लिखते थे ।