पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१७२

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टाड का राजस्थान, भाग २, पृष्ठ ४८१, कलकत्ता संस्करण, भाग २, पृष्ठ ५२७ । हंटर कृत'S.V: जैतपुर के गजेटियर में छत्रसाल के एक पुत्र जगत राज का उल्लेख है। रिपोर्ट आफ आर्केआलोजिकल सर्वे आफ इण्डिया, भाग १७, पृष्ठ १०६ में शिव (शिउ) पति नाम के एक' कवि की रचनाएँ उद्धृत हैं, जो कि उसी समय में हुआ था ।, टि०-ग्रियर्सन में दिया कवि का समय अशुद्ध है। शिवनाथ पन्ना नरेश महाराज छत्रसाल के पुत्र जगतराज या जगतसेन (शासनकाल सं० १७८८-१८- १५) के आश्रित थे। टांड में यदि छत्रसाल बुंदेला के किसी पुत्र जगतराज का उल्लेख नहीं है, तो इससे जगतराज का अस्तित्व असिद्ध नहीं हो सकता। .... . --सर्वेक्षण ८४६ १५३. तुलसी. कवि-जदुराय के पुत्र । १६५५ ई० में उपस्थित ।। यह स्वयं साधारण कवि थे; किन्तु १६५५ ई० में इन्होंने 'कवि माला' नामक एक असाधारण काव्य संग्रह प्रस्तुत किया था। इसमें ७५ कवियों की रचनाएँ संकलित हैं, जो संवत् १५०० (१४४३ ई०) और सं० १७०० (१६४३ ई०) के बीच हुए हैं । १५४. मंडन कवि--जैतपुर बुदेलखंड के । जन्मे १६५९ ई० " काव्य निर्णय, सुन्दरी तिलक । यह राजा मंगद सिंह के दरबार में थे । इन्होंने साहित्य सम्बन्धी तीन ग्रंथ (१) रसरत्नावली, (२) रस विलास, (३) नैन पचासा लिखे। . .. . टिo-मंडन ने खानखाना की प्रशंसा की है, अतः यह संवत् १६८२ के आसपास उपस्थित थे । १६५९ ई० इनका जन्मकाल कदापि नहीं हो सकता। -सर्वेक्षण ६९६ १५५. रतन कवि-जन्म १६८१ ई० । ..यह परना (पन्ना) के राजा सभासाहि के दरबार में थे और इन्होंने 'रस- मंजरी' का भाषा में अनुवाद किया। सम्भवतः यह वही श्री नगर बुदेलखण्ड के रतन हैं, जो श्री नगर बुंदेलखंड के राजा फतह साहि बुन्देला के दरबार में थे। इस राजा के नाम पर इन्होंने भाषा साहित्य के दो ग्रंथ 'फ़तेशाह भूषण' और 'फ़ते प्रकाश लिखे। हमीरपुर के डिप्टी कमिश्नर श्री लिश सूचित करते हैं कि फतहसाहि छत्रसाल (सं० १९७) के वंशज थे, पर कभी भी सिंहासना- सीन नहीं हुए।