पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१७५

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. (१६४) पृष्ठ ४७९ में बार्ड के “ए व्यू' इत्यादि भाग २, पृष्ठ ४२१ का हवाला देते हुए बड़े संकोच के साथ इसका सम्बन्ध किसी सुकदेव से जोड़ा गया है)। यह 'अध्यात्म.प्रकाश' और 'दशरथ राय के भी कर्ता थे। इनके सबसे अधिक . प्रसिद्ध शिष्य, कमिला के जैदेव ( सं० १६१ ) हैं। देखिए ६६१ टि.--'गौड़ के राजा अर्जुन सिंह' नहीं, राजा भर्जुन सिंह गौड़। -सर्वेक्षण ८३४ १६१: जैदेव कवि-कपिला के । १७००.ई के आसपास उपस्थित . . यह नवाब फाजिल अली. खों के दरबार में थे और कपिला के सुखदेव मिसर (सं० १६०) के शिष्य थे। . . . . . ... ... ...... .. १६२. नाथ–१७०० ई० के आसपास उपस्थित । ..::.::.:: सुन्दरी तिलक । फाजिल अली खाँ के दरबार में थे। यह संभवतः वही नाथ कवि हैं, जो भगवन्त राय खींची : (सं०२३३.), जो १७६० ई० में दिवंगत हुए, के यहाँ थे । ( देखिए संख्या ६८, १४७, ४४०, ६३२, ८५०)।

टि०-यह नार्थ (सरोज नाथ २, सर्वेक्षण :४३:) नवाब फजल अली के

यहाँ थे, न कि फाजिक भली के यहाँ । अतः अन्य संभावनाएँ भी व्यर्थ । . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . सर्वेक्षण ४३१..