पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१७७

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( १६६ ) टि-इनका संबंध जयपुर से है, न कि मेवाड़ से। जयपुर राज्य के अंतर्गत दोसा नगरी में इनका जन्म चैत्र शुक्ल ९, सं० १६५३. को हुआ था । इनकी मृत्यु सं० १७४६ में कार्तिक सुदी ८ को हुई। ‘सुंदर सांख्य' नाम का इनका कोई ग्रंथ नहीं।.. . :: ... सर्वेक्षण ८७४. १६५. सेनापति कचि--वृन्दावनी । जन्म १६२३ ई० हजारा, सूदन । यह वृन्दावन में रहनेवाले भक्त थे और काव्य कल्पद्म । नामक एक प्रामाणिक ग्रन्थ के रचयिता थे । टि०---१६२३ ई०.. ( सं० १६८०) सेनापति का उपस्थिति का है, न कि उत्पत्ति काल । इनके उपलब्ध अन्थ का नाम वित्त रत्नाकर' है। संभवतः काव्य कल्पद्रुम भी इसीका एक अन्य नाम है। इसकी रचना सं? १७०६ में हुई थी । ... : :: :::. : ९३४ : '१६६, स्रीधर कवि-राजपूताना के। जन्म १६२३ ई०::::

"" सूदन (१) !': दुर्गा की प्रशस्ति में लिखित *भवांनी छन्द' नामक ग्रन्थ

के रचयिता । ।. .. .. ' : '..::..:..::. :::::::: ... टि---श्रीधर ने सै? :१४५७ में रणमल्ल छन्द की रचना की थी, सरोज और ग्रियर्सले दोनों के संवत अशुद्ध हैं। कवि दो सौ वर्ष और पुरानी है।..' '. ....... . ...... ... :: ... . --सर्वेक्षण ८६९,. १६७..प्राननाथ-परना' [ पन्ना !, बुन्देलखण्ड के क्षत्रिय । १६५० ई० । ... में उपस्थित । , २ . . . . . . . . . . . । ... प्राणनाथी संप्रदाय के प्रवर्तक हैं, जो कि हिंदू और मुसलमानों को मिलाने की एक प्रयत्न है। यह परनां के छत्रसाल ( १६५० ई० में उपस्थित ) (संख्या १९७ } कें देरबार में थे। देखिए, ग्राउसजर्नले आफ्नो एशियाटिक सोसाइटी आफ़ बंगाल, भाग ४८, पृष्ठ १७१, जहाँ इनका एक ग्रन्थ ( क़ियामत नामा ) दिया गया है, जिसका अनुवाद भी वहाँ हैं । इनको १४ वीं शती के । प्रारम्भ में रखकर श्री ग्राउस ने गलती की है, क्योंकि छत्रसाल की मृत्यु १६५८ में हो गई थी। प्राणनाथ .१४ ग्रंथों के रचयिता हैं, जिनकी सूची श्री ग्राउस द्वारा दी गई है। भाषा विचित्र है, व्याकरण तो शुद्ध हिन्दी का है; पर पद समूह मुख्यतया अरबी फारसी का है। टि-छत्रसाई की जीवनकार्ड सं० १७०५-८८ वि० है। ऐसी स्थिति .. में उसका दियां समय ही ठीक है। ग्रियर्सन का समय अशुद्ध है। संक्षण ३