पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१७९

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(१६८ ) (३) प्रेम सुमार्ग---सिक्ख धर्म से सम्बन्धित; यह गोविन्द के जीवन और ' . लक्ष्य का संक्षिप्त विवरण है।.. (४) बुद्ध सागर--भजन ..:..: . गोविन्द सिंह व्रजभाषा, पंजाबी और फारसी में अच्छा लिखते थे और प्रसिद्ध कवि थे। : . देखिए गास द तासी, भाग १, पृष्ठ.१९१ । विलसन के अनुसार, रेलिलस सेक्ट्स आफ द हिन्दूज़, भाग १, पृष्ठ २७४ ।। सम्प्रदाय को मुख्य ग्रन्थ ‘दस पादशाह का ग्रन्थनाम से मशहूर है :.. | टि०--ग्रन्थ साहच' की रचना पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने की थी ।. गुरु गोविन्द सिंह के प्रायः सम्पूर्ण ग्रंथों का संग्रह 'दशम ग्रंथ' कहलाता है।.. |

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१७०. खुमान-चरखारी, बुंदेलखंड के भाट । जन्म १६८३ ई० । : | यह अंधे पैदा हुए थे और इन्हें कोई भी शिक्षा नहीं मिली थी । ऐसा । हुआ कि एक महात्मा इनके घर आए और चार महीने ठहरने के बाद जब वह जाने लगे, चरखारी के अनेक प्रतिष्ठित और विद्वान व्यक्ति उन्हें पहुँचाने गए। सभी कुछ दूर पहुँचाकर लौट आए पर खुमान साथ ही लगे रहे, संत के अनेक बार कहने पर भी नहीं लौटे । खुमान का कहना था, 'मैं क्यों घर , लौटू ? मैं अंधा हूँ, अनभिज्ञ हूँ, और घर के किसी काम को नहीं । जैसा कि लोकोक्ति है, धोबी का कुता न घर ,का न. घाट की । संत-ने प्रसन्न होकर इनकी जिह्वा पर सरस्वती मंत्र लिख दिया और आज्ञा दी कि सर्व प्रथम.मेरे कमंडल पर कविता रचो । खुमान ने तत्काल २५ छंद कह दिए और संत के चरण छू घर वापस आ गए और संस्कृत तथा भाषा में महाकाव्य ( Epic.) लिखने लगे। . एक बार यह ग्वालियर के राजा सँधियो के दरबार में थे, जिसने इन्हें सारी रात जगकर संस्कृत में एक ग्रंथ लिखने को कहा। खुमान तत्पर हो गए, और एक रात में ७०० श्लोक लिखकर रख दिए । ' यह दैवी-शक्ति-प्राप्त कवि समझे जाते हैं। इनके प्रसिद्ध ग्रंथ हैं-लछमन सतक और हनुमान नखशिख ।। , यही संभवतः वह [.अज्ञातकालीन ] खुमान कवि भी हैं, जिन्होंने अमरकोष ( राग कल्पद्रुम ) के एक भाग का छंदोबद्ध भाषानुवाद किया। - १. दोनों के बीच वह सदैव अता जाता रहता है। ... ..:..:..... -