पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१८०

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.:: टि०----खुमान का रचनाकाल सं० १८३०-१८८० वि० है । इनका जन्म सं० १८०० के आसपास हुआ रहा होगा । ग्रियर्सन में दिया समय अशुद्ध है। सरोज ( सर्वेक्षण १३५). में इनको. सं. १८४०. मैं उo! कहा गया है, ग्रियर्सन ने इसे १७४० समझ लिया है और उ० का अर्थ उत्पन्न करके इनको जन्मकाळ सन् १६८३ ई० दिया है। सरोज के अनुसार घर लौटकर *संस्कृत और भाषा की सुंदर कविता करने उगे }, इसका अनुवाद ग्रियर्सन ने एपिक ( Epio ) रचना करने लगे, किया है । अमरकोष का भी भाषानुवाद इन्हीं खुमान ने किया है। : : : ।

...-सर्वेक्षण १३५

-:. :: . .. भाग २, अन्य कवि : :: :: : । [ये संबंधित आश्रयदाताओं अथवा रियासतों के अनुसार यथासंभव वर्गवद्ध हैं ] १७१. नजीर-आगरा के । १६०० ई० के पहले उपस्थित ।

राग कल्पद्रुम), पर्याप्त प्रसिद्धि-प्राप्त कवि । प्रमुख रूप से यूरोपीय पाठकों

. के सामने यह पहली बार श्री फैलन द्वारा हिंदुस्तानी डिक्शनरी की भूमिका में आए। श्री फैलून का कहना है कि यह,अकेले कवि हैं जिनकी रचनाएँ जनता तक पहुँची हैं और जो कुछ भी इन्होंने लिखा है, उसमें एक भी साधारण पंक्ति नहीं हैं। इन अत्यंत लंबे चौड़े कथनों से मैं सहमत नहीं। इनकी रचनाएँ ( राग कल्पद्रुम में नज़ीर के शेर नाम से उल्लिखित). निश्चय ही कुछ लोगों में अत्यंत प्रिय हैं, परंतु यह सर्वप्रियता तुलसीदास, सूरदास, मलिक मुहम्मद जायसी और युग के अन्य महान कवियों की सर्वप्रियता के सामने कुछ नहीं है। मैं श्री फैलन कृत उनकी कृतियों के साहित्यिक मूल्यांकन से भी सहमत नहीं हैं, क्योंकि यद्यपि वे जनसाधारण की भाषा में हैं, फिर भी इतनी अश्लील एवं अ-सुरुचि पूर्ण हैं कि कोई भी यूरोपियन सुरुचि और शिक्षों का व्यक्ति उन्हें पसंद नहीं कर सकता । ........ :: .. .

-टि०-नज़ीर हिंदी के कवि नहीं हैं। वे उर्दू के शायर हैं। इनका जन्म

१७३५ ई० में आगरे में हुआ था। इनकी मृत्यु, ३६ अगस्त : १८३० को हुई । ग्रियर्सन में दिया इनका समय.अशुद्ध है। . . ........ | .::: नज़ीर की मानी , १७२. भानदास---ब्रजवासी । जन्म १६२३ ई ०।। राग कल्पद्रुम । यह प्रिय ( Favourite ) कवि थे | इनको मुख्य ग्रंथ