पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१८५

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( १७२ ) दि०-१६८३ ई० उपस्थिति का है ।यह जयपुरी कृष्ण कवि से भिन्न हैं। •;...:: :..---सर्वेक्षण ७९ १८१. आलस कवि-जन्म १७०, ६, | काय निर्णय, सुंदरी तिलक । पहले यह सनाढ्य ब्राह्मण थे, फिर एक मुसलमान रैंगरेजिन के चक्कर में पड़े और मुसलमान हो गए और एक अरसे तक औरंगजेब ( १६५८-१७०७ ) के पुत्र शहजादा मुअजमशाह की खिदमत में रहे, जो बाद में बादशाह बहादुरशाह’ ( १७०७-१२ ई० ) हुआ । इनकी कविताएँ बहुत ही अच्छी कही जाती हैं । .:: टि०-आळस अकबर कालीन हैं। इनका रचनाकाल सं० १६४०-८० हैं। इनका बहादुरशाह' से कोई संबंध नहीं । ::..:.:::: | -सर्वेक्षण १६ १८२ अब्दुल रहिमान-दिल्ली वाले, जन्म १६८१ ई० । " यह मुअज्जूमशाह के दरबार में थे। जो बाद में बहादुरशाह ( १७०७- १२ ई०.) के नाम से बादशाह हुं । इन्होंने जमक शतक” नामक एक अत्यंत विचित्र ग्रंथ लिखा है। ... टि -इनका रचनाकाल सं० १७६३-७६ वि० है, .:: :: : -सर्वेक्षण ३२ १८३. परसाद कवि–जन्म १६२३ ई० । ....। ': यह 'उदयपुर ( मेवाड़ ) के राज दरबार में थे और शिव सिंह कहते हैं। कि इनकी कविता बहुत विख्यात है। . . . . . . ....:.:..::: टि०–परलाद का पूरा नाम बेनीप्रसाद हैं। इन्होंने उदयपुर नरेश जगत सिंह ( शासनकाल सं० १७९१-१८०८ ) के लिए सं० १७९५ मैं नायिका भेद का अंथ ‘रस समुद्र २चा था। ६. .....: सर्वेक्षण ४४५. १८४. जंगत सिड्स मेवाड़ के राना । १६२८-१६५८ ई० में उपस्थित । मेवाड़ के अत्यंत प्रसिद्ध राजाओं में से एक, उदयपुर का , पुनर्निर्माण कराने वाले । एक अज्ञात नाम चारण ने इनके नाम पर जगत विलास,इनके युग का इतिहास, लिखा है । (टाड का राजस्थान भाग १ पृष्ठ १४ भूमिका, कलकत्ता संस्करण भाग १, पृष्ठ १३ भूमिका }। ऊपर दिया हुआ सन इनका शासनकाल है। (टा भाग १,- पृष्ठ: ३७२; कलकत्ता संस्करण भाग १; .