पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( १२ )

अध्याय में तुलसी का ही विवरण है। यह विवरण वियना में पढ़े गए निबंध का प्रायः पुनर्मुद्रित रूप है।

( ३ ) नोट्स आन तुलसीदास--१८९३ ई० की इंडियन ऐंटिक्केरी में प्रकाशित। इस निबंध में तीन नोट हैं। पहले में कवि सम्बन्धी तिथियों की ज्योतिष के अनुसार गणना है। दूसरे में कवि की कृतियों पर विचार है, जिसमें इनके ६ छोटे और ६ बड़े ग्रंथों को प्रामाणिक माना गया है। शेष के तुलसी की रचना नहीं स्वीकार किया गया है। तीसरे नोट में कवि सम्बन्धी परम्पराओं एवं जनश्रुतियों पर विचार है।

( ४ ) तुलसीदास के कवित्त रामायण की रचना तिथि–-१८९८ ई० में रायल एशियाटिक सोसाइटी के जर्नल में प्रकाशित। इसमें कवितावली में वर्णित महामारी को प्लेग बताया गया है।

( ५ ) तुलसीदास और बनारस में प्लेग विषयक दूसरा नोट--उसी वर्ष, उसी पत्रिका में प्रकाशित। इसमें सुधाकर द्विवेदी के इस अनुमान का उल्लेख है कि तुलसीदास की बाहू पीड़ा प्लेग की गिल्टी थी और इसी से उनकी मृत्यु हुई।

( ६ ) तुलसीदास : कवि और सुधारक--रायल एशियाटिक सोसाइटी के जर्नल में १९०३ ई० में प्रकाशित। तुलसी की मृत्यु प्लेग से हुई, इस विचार को लेखक ने यहाँ परित्याग दिया है।

( ७ ) आधुनिक हिन्दू धर्म और नेस्टोरियनों के प्रति उसका त्रण--इसमें दिखाया गया है कि भारतीय भक्तिमार्ग ईसाइयों का ऋणी हैं। यह निबन्ध १९०७ ई० में उफ जर्नल में ही छपा था।

( ८ ) तुलसीदास–-१९१२ ई० में प्रकाशित इंपीरियल गजेटियर के लिए तुलसी पर लिखित निबंध।

( ९ ) क्या तुलसीदास कृत रामायण अनुवाद ग्रंथ है?--९९१३ ई० में उक्त जर्नल में प्रकाशित। इस समय बलिया से एक संस्कृत रामायण प्रकाशित हुआ था, जिसको रामचरितमानस को मूल कहा गया था। इस निबन्ध में ग्रियर्सन ने इसका खंडन किया है।

( १० ) तुलसीदास--१९२१ ई० में प्रकाशित 'इनसाइक्लोपीडिया आफ़ रेलिजन ऐंड एथिक्स' के अंतर्गत यह लेख है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि ग्रियर्सन प्रायः ४० वर्षों तक तुलसी पर बराबर लिखते रहे और तुलसी सम्बन्धी आलोचना का पथ-निर्देश करते रहे।

ग्रियर्सन के कुछ अन्य साहित्यिक निबंध ये हैं -