पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१९०

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१२ . ( १७७ ) १६७८-१७२४ ) के दरबार में थे। इन्हें प्रत्येक दोहे पर एक एक अशफ । मिली थी, न कि एक एक पंक्ति पर । सुरनि मिश्र आगरे वाले थे, अगरवाले नहीं । आजमशाही क्रम हरजू कवि ने आजसगढ़ के आजम खाँ या आजमशाह के लिए सं० १७८१ में लगाया था । चेतसिंह के दरबारी कवि पंडित हरुप्रसाद ने सतसई की आर्या गुंफ संस्कृत टीका सं० १८३७ से की थी । अनवर खाँ टीकाकार नहीं थे, अश्रयदाता थे। इनके नाम पर कमल नयन और शुभकरले कवियों ने टीका लिखी थी । --सर्वेक्षण ५५५१ और विहारी सतसई संबंधी साहित्य-रत्नाकर १९७. छत्रसाल--पृरना, बुंदेलखंड के राजा । इन्होंने लाल कवि को छत्र प्रकाश ( राग कल्पद्रुम) लिखने की आज्ञा दी, जिसमें प्रारंभ से उनके समय तक का बुंदेलों का संपूर्ण इतिहास है। देखिए सं० २०२। यह १६५८ ई० में मारे गए। देखिए टाङ, भाग २, पृष्ठ ४८१; कलकत्ता संस्करण, भाग २, पृष्ठ ५२६. . टि–छन्नसाल का जन्मकाल सं० १७०५ एवं मृत्युकाळ सं० १७८८ हैं। प्रियर्सन में दिया इनका समय अशुद्ध है । छत्रसाल मारे नहीं गए थे, स्वतः मरे थे । -सर्वेक्षण २४१ १९८, निवाज-दोआब के ब्राह्मण । १६५० ई० में उपस्थित ।। . सुंदरी तिलक । यह परनी के राजा छत्रसाल बुंदेला के दरबार में थे। आजमशाह की आज्ञा से इन्होंने शकुंतला का अनुवाद किया था । नामों को साम्य कुछ ऐसा है कि लोगों को इनके निवाज ( सं ० ४४८ ) मुसलमान जुलाहा होने का भ्रम-हो जाता है, अतः ऐसी भी एक भ्रांत धारणा हैं कि यह मुसलमान हो गए थे ।. .' टि०---शकुन्तला को भाषानुवाद फर्रुखसियर के सहायक मुसलेखन ( आजम खान उपाधि से युक्त ) के लिए हुई थी। यह अनुवाद सं० १७७०-७६ के आसपास कभी किया गया था। ग्रियर्सन से दिया समय १६५० ई० एक दम अशुद्ध है। | -सर्वेक्षण ४१३ • १९९. रतनेस कवि---(१) १६२० ई० में उपस्थित है । यह कवि प्रतापसाहि ( सं० १४९ ) के पिता थे | यह अनेक प्रसिद्ध . शृङ्गारी कविताओं के रचयिता हैं . मिलाइए सं० १५५ दि०--रतनेस का समय सं० : १८५०-८० के आसपास है । ग्रियर्सन में दिया संवत् एकान्त अशुद्ध है । १५५ संख्थक रतन इनसे भिन्न हैं । -सर्वेक्षण ७६३