पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१९१

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( १७८ ) २००. पुरुग्वोत्तम कवि---बुन्देलखण्डी कवि और भाट । १६५० ई० में उपस्थित। राग कल्पद्रुम । टि-पुरुषोत्तम बुन्देलखण्डी छत्रसाल ( शालनकाल लं० १७१२-८८) के यहाँ थे । अतः यह १६५० ई० में उपस्थित नहीं हो सकते । वह संवत अशुद्ध है । सरोज से इन्हें ठोक ही लं० १७३० में कहा गया है। सर्वेक्षण ४६७ २०१. विजयामिनन्दन-बुन्देलखण्डी । १६५० ई० में उपस्थित ।। ये दोनों परना के राजा छत्रसाल बुन्देला (सं० १९७) के दरबार में थे। टि-विजयाभिनन्दन का भी समय अशुद्ध है। यह सं० १७२२-८८ के बीच किसी समय उपस्थित रहे होंगे। सरोज से इन्हें ठीक ही सं० १७४० में उ० कहा गया है। २०२. लाल कवि–१६५८ ई० में उपस्थित । , यह राजा छत्रसाल बुंदेला (सं० १९७ ) के दरबार में थे। यह धौलपुर के युद्ध में उपस्थित थे, जो दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच हुआ था और जिसमें छत्रसाल ( १६५८ ई० में) मारे गए थे। इन्होंने विष्णु विलास नामक नायिका भेद का ग्रन्थ रचा था, लेकिन यह 'छत्र प्रकाश के लिए अधिक प्रसिद्ध हैं ! यह हिंदी अथवा ब्रजभाषा पद्य में है। गासी द तासी (भाग १, पृष्ठ ३०४ ) इस ग्रन्थ के सम्बन्ध में निम्नांकित विवरण देता है । ग्रन्थ को मैंने स्वयं नहीं देखा है। . ___ "बुन्देलखण्ड के राजाओं के युद्ध, उनके सिंहासनारोहण का क्रम और नुन्देलों की वीर जाति का पराक्रम, इसमें वर्णित है। इसमें छत्रसाल और उनके पिता चंपतिराय के जीवन के छोटे छोटे विवरण भी दिए गए हैं । xxx कैप्टन पागसन ने लाल के ग्रन्थ का अनुवाद 'ए हिस्ट्री आफ द बुन्देलीज़' नाम से किया है और मेजर प्राइस ने छत्र प्रकाश या छत्रसाल का जीवन चरित' नाम से उसके उस अंश का पाठ दिया है, जो छत्रसाल के जीवन से सम्बन्धित है। टि०---प्रियर्सल ने छत्रसाल बुन्देता और छत्रलाल हाड़ा दोनों को एक समझ लेने की सून की है। इस श्रम का उत्तरदायित्व सोज पर है । लाल छत्रसाल बुंदेला के यहाँ थे। यह दीवाले छत्रसाल हाड़ा ( गोपीनाथ के पुत्र ) के यहाँ नहीं थे। दारा और औरंगजेब के बीच हुए चौरपुर, फतुहा के युद्ध में यह लाल नहीं थे। इसी युद्ध से छत्रसाल हाड़ा मारे गए थे, छन्नसाच १. टाड के अनुसार साल के पिता का नाम गोपीनाथ था। .