पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१९२

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. ( १७९ ) बुन्देऊ नहीं। लाल ( गोरे लाल पुरोहित ) ॐ जन्म सं० १७१५ मैं हुआ था । इन्होंने सं० १७६४ में छत्रप्रकाश की रचना की थी । ग्रियर्सन में दिया समय सन् १६५८ ई० अशुद्ध है। | -सर्वेक्षण ८०० २०३. हरिकेस कवि--जहाँगीराबाद सेनुढा, बुन्देलखण्ड के । १६५० ई० में |.. उपस्थित । सुन्दरी तिलक ।। . 'टि–हरिकेश का सम्बन्ध महाराज छत्रसाल ( शासनकाल सं० १७२२- ८८ ) और उनके दो पुत्रों, जगतराज ( शासनकाल सं० १७८८-१८१५) और हृदय साहि ( शासन काल सं० १७८८-९६ ) से था । इनकी रचना काक सं० १७७६ के इधर उधर है । ग्रियर्सन में दिया समय १६५० ई० एक --सर्वेक्षण ९६८ २०४. हरिचंद-चरखारी, बुन्देलखण्ड के भाट । १६५० ई० में उपस्थित । दि०-हरिचंद छत्रसाल ( शासनकाल सं० १७२३-८८ ) के आश्रय में थे । ग्रियर्सन में दिया हुआ समय १६५० ई० एकति भ्रष्ट है । --सर्वेक्षण १००२ २०५. पंचम कवि-प्राचीन, बुन्देलखण्डी । १६५० ई० में उपस्थित । । ये तीनों राजा छत्रसाल बुन्देला. ( सं० १९७ ) के दरबार में थे । टि०--पंचम का भी समय १७२२८८ वि० के बीच होना चाहिए। इनका भी समय अशुद्ध दिया गया है। सरोज में इस कवि के नाम पर जो छंद है, वह भूषण की रचना के रूप में भी प्रसिद्ध है । यदि यह तथ्य है, तो इस कवि का अस्तित्व सिद्ध नहीं होता । "... --सर्वेक्षण ४६३ २०६. गंभीर राय-नूरपुर के । १६५० ई० में उपस्थित ।। - शाहजहाँ ( १६२८-१६५८ ई ) के विरुद्ध, मऊ के जगतसिंह के विद्रोह का गुणगान करने वाले भाट । "मूलं और आंशिक अनुवाद श्री वीम्स द्वारा जर्नल अफ एशियाटिक सोसाइटी आफ़ बैंगल, भाग ४४, ( १८७५ ई० ) पृष्ठ २०१ पर दिया गया है । मनोरंजक और महत्वपूर्ण ।। २०७, रवि रतन---राठौर, १६५० ई० में उपस्थित ।। यह रतलाम के राजा उदयसिंह के प्रपौत्र थे । इनके नाम पर किसी अज्ञात चारा ने रायसा राव रतन' लिखा है। देखिए, टाड, भाग २, पृष्ठ ४९, कलकत्ता संस्करण, भाग २, पृष्ठ ५५ ।।