पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१९३

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( १८० ) २०८. गोपाल कवि--प्राचीन, जन्म १६५८ ई० ।। मित्रजीत सिंह के दरबार में थे ।। ०–गोपाल प्राचीन मित्रजीत सिंह के पुत्र कल्याण सिंह' के यहाँ थे । सरोज में इन्हें सं० १७१४ में उ०' कहा गया है । | -सर्वेक्षण १६४ २०९. हरिवंस सिसर—बिलग्राम, जिला हरदोई के । १६६२३० में उपस्थित। | इनके हाथ की लिखी पद्मावत की एक पोथीं के अनुसार यह अमेठी के राजा हनुमंत सिह के दरबार में थे । यह सुप्रसिद्ध कवि हैं और अब्दुल जलील बिलग्रामी ( स० १७९ ) के भाषा शिक्षक थे । टि-सरोज के अनुसार इनकी लिखी पद्मावत की पोथी से इनका अब्दुल जलील का भाषा काव्य शिक्षक होना सिद्ध होता है, न कि इनका अमेठी नरेश हनुमंत सिंह को दरबारी चि होना । सरोज में इन्हें सं० १७२९ में इ० कहा गया है । --सर्वेक्षण ९६९ : २१०. सबल सिङ्ग चौहान-जन्म १६७० ई० महाभारत के २४,००० श्लोकों का पद्यन्नद्ध अनुवाद बहुत संक्षेप में किया है । यह कौन थे, इस सम्बन्ध में अनेक कथन हैं। कुछ कहते हैं कि यह चन्दागढ़ के राजा थे, दूसरे कहते हैं कि सबलगढ़ के । शिव सिंह का ख्याल है कि यह इटावा जिले में किसी गाँव के जमींदार थे । शिव सिंह द्वारा उल्लि- . खित भाषा साहित्य के दो ग्रंथों घटऋतु और भाषा ऋतुसंहार के रचयिता. सबलसिंह कवि भी संभवतः यही हैं । टि०---सवलसिंह की रचनाकाल सं० १७१२ से १७८१ तक है । अतः १६७० ३० ( सं १७२७ वि० ) इनका जमकल कदापि नहीं हो सकता है यह इनका उपस्थितिकाल हैं । घटतु और भापात्रतुसंहार दोनों एक ही ग्रन्थ हैं। ग्रियर्सन को दोनों सवक सिंहों के अभिन्न होने का अनुमान ठीक है ।। . :- सर्वेक्षण ९१३, ९१३ २११. स्त्री गोविन्द कवि-जन्म (१ उपस्थिति, देखिए; सं० १४५) १६७३ ई० यह सतारा के शिवराज सुलंकी के दरबार में थे . दि०---१६७३ ई० उपस्थिति काल है, जन्मकाल नहीं है। --सर्वेक्षण ८६३ २१२. देवीदाल कवि-बुन्देलखण्डी । १६८५ ई० में उपस्थित ।