पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२०६

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( १९३) हजारा। इन्होंने नायिका भेद का एक अच्छा ग्रंथ लिखा है। टि.---१६९७ ई० (सं० १७५२ ) कुंदन का उपस्थिति काल है। -सर्वेक्षण ८४ ३०९. स्याम सरन कवि-जन्म १६९६ ई० । स्वरोदय ( राग कल्पद्रुम) नामक ग्रंथ के रचयिता। टि-श्यामशरण जी चरणदास (सं० १७६०-१८३८) के शिष्य थे। इनका रचनाकाल सं० १८०० के आसपास होना चाहिए । ग्रियर्सन में दिया .. संवत अशुद्ध है । इनका जन्म सं० १७६० के पश्चात होना चाहिए। -सर्वेक्षण ८९३ ३१०. गोध कवि-जन्म १६९८ ई०। . टि-सरोज में इनका नाम 'गोधू है। -सर्वेक्षण २०३ ३११. छेम कवि-जन्म १६९८ ई० 1 · कोई विवरण नहीं। यह शिवसिंह द्वारा उल्लिखित संभवतः दोआब के छेम करन भी हैं। देखिए सं० ८७, १०३ । टिo-छेम या क्षेमनिधि पद्माकर के चाचा थे। १६९८ ई० (सं० १७५५) इनका रचनाकाल है। -सर्वेक्षण २४७ यह अंतर्वेदी छेमकरन, 'छेम' से भिन्न हैं। -सर्वेक्षण २४४ ३१२. छैल कवि-जन्म १६९८ ई० । हजारा। टि०-१६९८ ई० (सं० १७५५ ) कवि का रचनाकाल है। -सर्वेक्षण २४९ ३१३. जुगुल कवि-जन्म १६९८ ई० । राग कल्पद्रुम । कहा जाता है कि इन्होंने कुछ बहुत ही विचित्र छंद रचे हैं। बिना तिथि दिए हुए 'जुगुलदास कवि' नाम से शिवसिंह द्वारा उल्लिखित कवि भी संभवतः यही हैं। .. टि-ग्रियर्सन की कल्पना ठीक है। दोनों कवि एक ही है । सं० १७५५ कवि का जन्मकाल हो सकता है। इन्होंने सं० १८११ में हित चौरासी की

टीका की थी।

-सर्वेक्षण २६०, ३०३