पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२१

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ग्रियर्सन ने पड़े थे, ऐसा उनका कहना है । पर सबको समझा भी है, ऐसा उनका दावा नहीं है । ग्रंथ का आकार सामान्य पुस्तकों के आकार से कुछ बड़ा है। यह ग्रन्थ तीन खंडों में विभक्त कहा जा सकता है :-( १ ) प्रस्तावना आदि, ( २ ) मूल ग्रंथ, (३) अनुक्रमणिका । | प्रथम खण्ड में तीन विभाग हैं :- (अ) प्रस्तावना (Preface)- इसमें कुल ५ पृष्ठ (७ से ११ तक) हैं । इसमें ग्रंथ लिखने का अवसर और आवश्यकता आदि पर विचार है ।। (ब) भूमिका ( Introduction )-इसमें कुल ११ पृष्ठ ( १३ से २३ तक ) हैं । ग्यारहवाँ पृष्ठ सादा है। भूमिका के चार उप विभाग हैं :- (१) सूचना के सूत्र । (२) विषयन्यास का सिद्धान्त (३) हिन्दुस्तान ( हिन्दी-भाषा-भाषी प्रदेश) के भाषा साहित्य का | संक्षिप्त विवरण | (४) चित्र परिचय । (स) शुद्धिपत्र और परिशिष्ट (Addenda )——इसमें दस-बारह पृष्ठ हैं । ग्रंथ के छपते-छपते लेखक को जो नई सूचनायें प्राप्त हुईं, उन्हें उसने परिशिष्ट । मैं दे दिया है। इसी के अन्तर्गत तुलसीदास लिखित प्रसिद्ध पञ्चनामे का रोमन लिपि में प्रत्यक्षरीकरण और उसका अंग्रेजी अनुवाद भी दिया गया है ।। द्वितीय खण्ड में, जो कि मूल ग्रन्थ है, कुल १६८ पृष्ठ हैं । ग्रन्थ बारह अध्यायों में विभक्त है। प्रत्येक अध्याय में प्रायः तीन अंश हैं, जिनमें सामान्य परिचय, प्रधान कवि परिचय और अप्रधान कवि नाम सूची क्रम से हैं। | तीसरे खण्ड में तीन अनुक्रमणिकायें हैं ।. पहली में व्यक्ति-नाम सूची, दूसरी मैं ग्रन्थ-नाम सूची और तीसरी में स्थान-नाम सूची वर्णानुक्रम से है। इन नामों के अागे जो संख्यायें दी गई हैं, वे पृष्ठों की न होकर कवियों की हैं । अधिार-ग्रंथ भूमिका में ग्रियर्सन ने निम्नलिखित १८ ग्रन्थों से सहायता लेने का । उल्लेख किया है :- ग्रन्थ । लेखक, रचनाकाल १. भकमाल नाभादास १५४० ई० के लगभग (१) : २गोसाई-चरित्र वेनीमाधवदास १६०० ई० के लगभग (१)