पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(२०६) सुन्दरी तिलक । अली अकबर खौँ मुहम्मदी के दरबार में थे। इन्होंने ब्रह्मोत्तर खण्ड का भाषा में अनुवाद किया। गुमान ली मिसर (सं० ३४९) और निधान (सं० ३५०) भी इनके साथ उक्त दरबार में थे। शिव सिंह द्वारा उल्लिखित 'प्रेम कवि भी संभवतः यही हैं। टि–सं. १८३९ में प्रेम नाथ जी ने महाभारत आदि पर्व का अनुवाद किया। यह 'प्रेस कवि' से भिन्न हैं। -सर्वेक्षण ४८७, ४८० ३५२. रुद्रमनि मिसर-ब्राह्मण । १७४० ई० में उपस्थित । ... यह दिल्ली में जुगुल किशोर भट्ट ( सं०३४८) के दरबार में थे। ३५३, संतजीव कवि-१७४० ई० में उपस्थित ।। यह जुगुल किशोर भट्ट (सं० ३४८) के दरबार में थे। ३५४. सुखलाल कवि--१७४० ई० में उपस्थित । सूदन । जुगल किशोर भट्ट (सं० २४८ ) के दरबार में थे । . ३५५. हरिनाथ-गुजराती, बनारस वाले । जन्म १७६९ ई०। अलंकार दर्पण नामक अलंकार ग्रंथ के रचयिता। गासा द तासी ने (भाग १, पृष्ठ २१८) एक हरिनाथ का उल्लेख किया है, जो 'पोथी शाह मुहम्मद शाही अर्थात् मुहम्मद शाह (१७१९-१७४८ ई०) के इतिहास के रचयिता है, जिसकी एक हस्तलिखित प्रति ब्रिटिश म्यूजियम (संख्या ६६५१). की अतिरिक्त पाण्डुलिपियों में है । संभवतः यह हरिनाथ भी यही थे। पुनश्च :- अलंकार दर्पण की तिथि सं० १८२६ (१७६६ ई०) दी गई है, जिसे . शिव सिंह ने कवि का जन्म संवत् मान लिया है। . टिO.-हरिनाथ गजराती, ताली वाले हरिनाथ से भिन्न प्रतीत होते हैं। .. सरोज में ( साक्षण ९९८ ) इन्हें 'सं० १८२६ में उ.' कहा गया है। नियर्सन ने इसे उत्पत्तिकाल समझने की भूल की है, सरोजकार ने तो उप- स्थितिकाल ही दिया है। ३५६. सुखदेव मिसर कवि-दौलतपुर जिला रायबरेली के। १७४० ई० . में उपस्थित । यह डौंडिया खेरा, अवध के राव मरदान सिंह बैस के यहाँ थे और उनके नाम पर नायिका भेद का एक ग्रंथ 'रसार्णव' ( राग कल्पद्रुम) नाम का लिखा । शंभुनाथ बंदीजन (सं० ३५७ ) इनके शिष्य थे। देखिए गारी द. तासी, भाग १, पृ० ४७९ | देखिए सं०३३५ ।