पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२२९

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(२१०:). टिक-यहाँ सदन के सुजान चरित्र के प्रारंभिक १० छंद अभीष्ट हैं, जिनमें से में उन्होंने अपने पूर्ववर्ती या समसामयिक सैकड़ों कवियों को प्रणाम किया है । 'सुनाम' किसी कवि का नाम नहीं है; यह 'प्रख्यात नाम वाले' के अर्थ में प्रयुक्त है । 'हीरस' भी कवि नहीं है। कवि का नाम 'हीरा है। सूदन ने सुजान चरित की रचना सं० १८१० के आसपास की थी, अतः यही इनका जन्म काल नहीं है। -सर्वेक्षण ९२९ ३६८. रंगलाल कवि-जन्म १७५० ई० के लगभग ।। यह बदन सिंह के पुत्र सुजान सिंह के दरबार में थे। टिक-~-भरतपुर नरेश बदन सिंह के पुत्र सुजान सिंह या सूरजमल का राज्य. काल सं १८१२-२० है; अतः १७५०ई० इनका रचनाकाल है, न कि जन्मकाल। -सर्वेक्षण ७८३ ३६९. ब्रजवासीदास-वृंदावन, दोआब के । १७७० ई० में उपस्थित ।। राग कल्पद्रुम, सुंदरी तिलक, ? शृंगार संग्रह । शिव सिंह का कहना है कि यह १७५३ ई० में उत्पन्न हुए थे। इन्होंने व्रजविलास (राग कल्पद्रुम) नामक ग्रंथ १७७० ई० में लिखा था, जिसमें कृष्ण का वृंदावन-कालीन जीवन । चित्रित है। देखिए विलसन, रेलिजस सेक्टस आफ़ द हिंदूज, पृष्ठ १३२ और गार्सी द तासी भाग १, पृष्ठ १३१ । विना तिथि दिए हुए, शिवसिंह द्वारा उल्लिखित, प्रबोध चंद्रोदय नाटक ( राग कल्पद्रुम) का भाषानुवाद करनेवाले, 'ब्रजवासीदास' उपनाम 'दास ब्रजवासी' भी संभवतः यही हैं। . .. ' टि-वृंदावन का दोआब से कोई संबंध नहीं। शिवसिंह ने इन्हें 'सं० १८१० में उ०' लिखा है। उत्पन्न नहीं लिखा है। सं० १८१०: भी इनका उपस्थिति काल ही है। प्रवोध चंद्रोदय के कर्ता ब्रजवासीदास या दास ब्रजवासी भी यही हैं। , , ... -सर्वेक्षण ५३७, ५३४, ३७५ ३७०. करन चंदीजन-जोधपुर, मारवाड़ के कवि और भाट। १७३० ई० _के आसपास उपस्थित । राठौर महाराजों के कवि। अजित सिंह ( सं० १९५) के पुत्र महाराज अभय सिंह राठौर ( १७२४-१७५० ई०) के आश्रय में रहकर इन्होंने 'सूर्य प्रकाश' नामक ग्रंथ लिखा। यह ७,५०० श्लोकों के बराबर है और इसमें महाराज जसवंतसिंह ( १६३८-१६८१) से लेकर अभयसिंहः ( १७३१ ई०.). तक का इतिहास हैं । देखिए, टाड भाग १, पृष्ठ १४ भूमिका, भाग २, पृष्ठ