पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२३०

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- (२११) ४, ९१, १०७; कलकत्ता संस्करण भाग १, पृष्ठ १३ भूमिका, भाग २, पृष्ठ ४, ..९९, ११७ । टाड ने इस कवि के संबंध में एक कथा दी है और इसकी कविता का एक उद्धरण भी दिया है-भाग २, पृष्ठ १२०, कलकत्ता संस्करण भाग २, पृष्ठ१३१ । ___ टिक-'सूर्य प्रकाश' की रचना सं० १७८७ में हुई। इस कवि के संबंध में दी गई कथा और इसकी कविता का उद्धरण टाड ले सरोज में भी दिया गया है। -सर्वेक्षण ७१ ३७१. बिजै सिद्ध-जोधपुर, मारवाड़ के महाराज। शासनकाल १७५३- १७८४ ई०। यह स्वयं भी कवि थे। इन्होंने 'बिजै विलास' नामक ग्रंथ लिखाया। यह इतिहास ग्रंथ है। इसमें १ लाख दोहे हैं। इसमें अभय सिंह के पुत्र और इनके चचेरे भाई राम सिंह तथा इनके बीच हुए युद्ध का वर्णन है। यह इसी का परिणाम था कि मराठों को इस राज्य में प्रवेश करने का अवसर मिला। शिव सिंह ने गलत लिखा है कि यह उदयपुर मेवाड़ के राजा थे। देखिए टाड का राजस्थान, भाग १, पृष्ठ १४ भूमिका, भाग २, पृष्ठ ४, १२१ और आगे; कलकत्ता संस्करण भाग १, पृष्ठ १३ भूमिका, भाग २, पृष्ठ ४, १३४ और आगे । ३७२. मान-कवि-बैसवाड़ा के ब्राह्मण । १७६१ ई० में उपस्थित ।। · इन्होंने इस वर्ष कृष्णखंड का भाषानुवाद 'कृष्ण कल्लोल' नाम से किया । इस ग्रंथ के प्रारंभ में शालिवाहन से लेकर वपंतिराय (? छत्रसाल सं० १९७ के पिता) तक वंशावली दी गई है। ३७३. छेमकरन कवि-धनौली, जिला बाराबंकी के ब्राह्मण; जन्म १७७१ ई० । - यह (१) राम रत्नाकर, (२) रामास्पद (३) गुरु कथा, (४) आह्निक, (५) राम गीत माला, (६) कृष्ण-चरितामृत, (७) पद विलास, (८) रघुगज घनाक्षरी, (९) वृत्त भास्कर और अन्य सुंदर ग्रंथों के रचयिता हैं । यह ९० वर्ष को बय में १८६१ ई० में दिवगंत हुए। ३७४. चंदन राय कवि-नाहिल (? माहिल ) पुवावों, जिला शाहजहाँपुर ' के बंदीजन और कवि । १७७३ ई० में उपस्थित । । यह गौर के राजा केसरीसिंह के दरबार में थे। उनके नाम पर इन्होंने केसरी प्रकाश लिखा। इनके अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथ है-शृंगार सार, कल्लोल तरंगिणी : १९ ई० में लिखित), काव्याभरण, चंदन सतसई और पथिक सभी परम प्रसिद्ध है। इनके १२ शिष्य थे, जो सभी सफल कवि थे।