पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२३२

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(२१३ ) दिवंगत हुए। भाषा भूषण के अनेक टीकाकार हुए हैं, जिनमें से निम्नांकित का उल्लेख किया जा सकता है परताप साहि (१) (सं० १४९ ), नारायणराय (सं० ५७२), गिरिधर बनारमी (सं० ५८०) दलपतिराय (सं० ६३५), बंशीधर (सं० ६३६), उनियारा के अज्ञात नाम कवि (६६०), हरि (सं० ७६१) । यह बनारस में अम्बिकाचरण चट्टोपाध्याय द्वारा संवत् १९४३ ( १८८६ ई०) में प्रकाशित हुआ है। इसका एक बम्बई संस्करण ग्रंथ- कर्ता को मारवाड़ का जसवन्त सिंह (१६३८-१६८१ ई०) मानता है, लेकिन यह अत्यन्त संदिग्ध है । देखिए सं० १४९ और सं० १४९ का पुनश्च । टि०-भाषा-भूषण मारवाड़ नरेश जसवन्त सिंह ही की रचना है, इनकी नहीं। --सर्वेक्षण २६५, २६६ ३७८. हिम्मति बहादुर-गोसाई, नवाच हिम्मत बहादुर । १८०० ई० में उपस्थित । "सत्कविगिराविलास । इनके दरबार में अनेक कवि थे, जिनमें ठाकुर (जिन्होने इनका जीवन बचाया था, सं० १७३) और राम सरन भी थे। अस्कन्दगिरि (सं० ५२७ ) इनके वंशज थे। ___ यह सैनिक-सन्त या फौजी गुरु थे, जिनके अधीन सेंघिया की सेना में गोर्मोइयों की एक टुकड़ी थी। इन्होंने अली बहादुर को बुन्देल खण्ड विजय के लिए उकसाया था, लेकिन अन्त में दूसरे मराठा युद्ध के समय ( १८०३- १८०६) यह अँगरेजों की ओर हो गए। उस समय यह काफ़ी बुड्ढे हो गए रहे होंगे, क्योंकि इनकी कविताएँ सत्कविगिराविलास में संकलित हैं, जो १७४६ ई० में लिखा गया था। टिक-हिम्मत बहादुर की मृत्यु सं० १८६१ में हुई थी। ३७९. राम सरन कवि-हमीरपुर जिला इटावा के । १८०० ई० में उपस्थित । ३८०, राम सिङ्घकवि-बुन्देलखण्डी। १८०० ई० में उपस्थित ! थे दोनों हिम्मत बहादुर के दरबार में थे। अध्याय का परिशिष्ट ३८१, आदिल कवि-जन्म १७०३ ई० । · शिव सिंह ने इनकी फुटकर कविताएँ देखी हैं, कोई पूर्ण ग्रंथ नहीं। ३८२. ब्रजचन्द कवि-जन्म १७०३ ई० । ३८३. भौन कवि-प्राचीन । बुन्देलखण्डौ । जन्म १७०३ ई० । शृंगारी कवि। .