पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२३५

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( २१६ ) टि०-महाकवि कालिदास त्रिपाठी का उपनाम है। -सर्वेक्षण ६८८, ७३ ४०४. रसराज कवि-जन्म १७२३ ई० । एक अच्छे नखशिख के रचयिता । ४०५. रसिक बिहारी-जन्म १७२३ ई० । . राग कल्पद्रुम। टिक-महाराज नागरीदास की उपपत्नी बनीठनी जी रसिक विहारी नाम: से लिखती थीं। १७२३ ई० इनका उपस्थिति काल है। इनका देहावसान सं० . १८२२ में आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ। -~सर्वेक्षण ७९५ ४०६. रुद्रमणि-चौहान, जन्म १७२३ ई० । ४०७. दल सिङ्घ--राजा, बुंदेलखंडी । जन्म १७२४ ई० । राधाकृष्ण की लीला से संबंध रखनेवाले 'प्रेम पयोनिधि' नामक ग्रंथ के रचयिता। ४०८. प्राननाथ-कोटा के । जन्म १७२४ ई० । यह कोटा दरबार में थे। टिक-१७२४ ई० (सं० १७८१ ) उपस्थिति काल है। -सर्वेक्षण ४५८ ४०९. जुलफेकार कवि-जन्म १७२५ ई० ।। इन्होंने बिहारी ( सं० १९६ ) की सतसई पर एक अच्छा तिलक रचा। टि०-समय एकदम गलत है। प्रसंग-प्राप्त ग्रन्थ की रचना सं० १९०३ में हुई थी। -सर्वेक्षण ३०५ ४१०, कमल नयन कवि-बुंदेलखंडी । जन्म १७२७ ई०। .. शृंगार रस पर इन्होंने बहुत लिखा है, पर इनका कोई पूर्ण ग्रंथ नहीं . ज्ञात है । इनकी कविता सरस कही जाती है। टि०-१७२७ ई० (सं० १७८४ ) उपस्थिति काल है, जन्म काल नहीं । -सर्वेक्षण ८९ ४११. बिस्वनाथ अताई-बुंदेलखंडी; जन्म १७२७ ई० । । . . सत्कविगिराविलास। टि०-१७२७ ई० (सं० १७८४) इनका जन्मकाल न होकर उपस्थिति काल है, क्योंकि इसके १९ ही वर्ष बाद संकलित सत्कविगिराविलास से इनकी रचना है।