पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२४४

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- ( २२५ ) टि०--कवि का पूरा नाम महा सिंह है। इन्होंने सं० १८५३ में छन्द शृङ्गार नाम पिङ्गल ग्रंथ लिम्बा था। अतः १७७८ ई० (सं० १८३५) इनका उपस्थितिकाल है, न कि जन्मकाल । -सर्वेक्षण ९०० ४७५. कवि दत्त-जन्म १७७९ ई० । शृङ्गार संग्रह । यह संभवतः देवदत्त (सं० ५०८) हैं। टि-जैसा कि निसर्सन का अनुमान है, यह कविदत्त और सादि वाले देवदत्त एक ही हैं। इन देवदत्त या कविदत्त ने सं० १७९१ में लालित्य लता की रचना की थी, सजन विलास का रचनाकाल सं० १८०४ है। अतः १७७९ ई० (सं० १८३६ ) इनका जन्मकाल नहीं है। यह उपस्थितिकाल हो सकता है। --सर्वेक्षण ९४, ३४२ ४७६. मधुसूदन दास-इष्टका पुरी के माथुर ब्राह्मण । जन्म १७८२ ई० । इन्होंने रामाश्वमेघ का भाषानुवाद किया। टि०-१७८२ ई० जन्मकाल नहीं है, उपस्थितिकाक है, क्योंकि इसके ७ वर्ष पहले ही सं० १८३२ में: कवि ने रामाश्वमेध की रचना प्रारम्भ की थी। यह ग्रंथ अनुवाद नहीं है । -सर्वेक्षण ६७२ ४७७. मनिराम कवि मिसर-कन्नौज के। जन्म १७८२ ई० शृङ्गार संग्रह। पिंगल के सर्वोत्तम ग्रन्थों में से एक 'छंद छप्पनी' के रचयिता। टिo-छंद छप्पनी का रचना काल सं० १८५३ है, अतः १७८२ ई० जन्म काल न होकर उपस्थिति काल है। --सर्वेक्षण ६७३ ४७८. रामदास कवि-जन्म १७८२ ई० । ४७९. सिक्लाल दूबेडौंडियाखेरा, जिला उन्नाव के । जन्म १७८२ ई०। अनेक अन्थों के रचयिता हैं, जिनमें नखशिख और षटऋतु (राग कल्पद्रुम) नीति और हास्य सम्बन्धी कविताओं का उल्लेख किया जा सकता है। ४८०. संगम कवि-जन्म १७८३ ई० । शृङ्गार संग्रह । यह किसी सिंहराज के दरबार में थे। टि०-संगम का रचनाकाल सं० १९०० वि० के आसपास है। ---सर्वेक्षण ९०१ -