पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२४५

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( २२६ ) ४८१. गंगापति कवि-जन्म १७८७ ई० । सरस कवि कहे जाते हैं। ४८२. सागर कवि-ब्राह्मण । जन्म १७८६ ई० । 'वामा मनरंजन' नामक शृंगारी ग्रंथ के रचयिता । यह टिकैतराय के दरबार में थे । देखिए ४८४ । टि-नवाब आसफुद्दौला का शासनकाल सं० १८३२-५४ है। इन्हीं के संत्री ठिकैतराय थे। यही समय सागर का भी हुआ। अतः १७८६ ई० (सं० १८४३ ) इनका जन्मकाल नहीं है, उपस्थिति काल है। . -सर्वेक्षण ९०९ ४८३. गिरिधर कवि-होलपुर, जिला बाराबंकी के कवि और भाट । जन्म (१ उपस्थिति ) १७८७ ई०। संभवतः वही, जो सं० ३४५ । देखिए ४८४ । टि० --होल पुर वाले गिरिधर ३४५ संख्यक प्रसिद्ध कुंडालियाकार गिरिधर कविराय से भिन्न हैं। आसुफुद्दौला (शासनकाल सं० १८३२-५४) के दीवान टिकैतराय के यहाँ यह थे। अतः १७८७ ई० (सं. १८४४) इनका असंदिग्ध रूप से उपस्थिति काल है, यह जन्मकाल नहीं हो सकता । -सर्वेक्षण १६१ ४८४. वेनी कवि-बेनी जिला रायवरेली के कवि और भाँट, द्वितीय । जन्म (? उपस्थिति) १८७७ ई०। ये तीनों लखनऊ के नवाब आसफुद्दौला (१७७५-१७९७ में उपस्थित) के दीवान टिकैत राय के दरबार में थे । बेनी (? सुंदरी तिलक.) लंबी उम्म पाकर १८३५ ई० में या उसके आसपास मरे। . टि-१८७७ ई० अशुद्ध है। प्रमाद से अंकों में व्यत्यय हो गया है। ग्रियर्सन सं० १७८७ ई० देना चाहते थे। यह १७८७ ई० कवि का उपस्थिति काल है, न कि जन्मकाल, जो कि आसपुद्दौला के शासनकाल को ध्यान में रखते हुए अत्यंत स्पष्ट है। इन्होंने सं० ५८४९-५१ में अलंकार प्रकाश एवं सं० १८७४ में रसविलास की रचना की। १८७४ ही में इन्होंने यश लहरी ग्रन्थ भी लिखा। –सर्वेक्षण ५०८ ४८५. जवाहिर कवि-बिलग्राम, जिला हरदोई के कवि और भाट । जन्म .. १७८८ ई०। इन्होंने जवाहिर रत्नाकर नाम ग्रंथ लिखा था ।