पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२४६

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( २२७ ) - टि-जवाहिर रत्नाकर की रचना सं० १८२६ में हुई थी। भतः १७४८ ई० ( सं० १८४५) कवि का उपस्थिति काल है, न कि जन्मकाल ।। .-सर्वेक्षण २६७ ४८६. गुलाब सिद्ध--पंजाबी, जन्म १७८९ ई०। - इन्होंने कई वेदांत ग्रंथ लिखे जैसे रामायन, चंद्र प्रबोध नाटक, मोच्छ पंथ, भौंवर सौवर । टि.-१७८९ ई० (सं० १८४६) जन्म काल न होकर, उपस्थिति काल है। गुलाबसिंह पंजाबी ने मोक्ष पंथ प्रकाश की रचना सं० १८३५ में और भाव रसामृत की सं० १९३४ से की थी। यह भाव रसामृत ही भाँवर साँवर प्रतीत होता है। -~~सर्वेक्षण २०१ ४८७. देवीदास--१७९० ई० के आसपास उपस्थित । जगजीवनदास (सं० ३२३) के शिष्य; शांत रस के कवि । टि० जगजीवनदास का जीवनकाल सं० १७२७-१८१७ है अत: १७९० ई० (सं० १८४७) जगजीवनदास के शिष्य का जन्म काल तो हो नहीं सकता । यह इनका उपस्थिति काल है। ४८८. बालनदास कवि--१७९३ ई० में उपस्थित । इन्होंने उक्त वर्ष रमल भाषा नामक ग्रंथ लिखा । यह अपने विषय का प्रामाणिक ग्रंथ है। टि०-१७९३ ई० (सं० १८५०) रमलसार का ही रचनाकाल है। ४८९. स्त्री लाल-गुजराती, बोडेर राजपूताना के । जन्म १७९३ ई० । भाषा चंद्रोदय और अन्य ग्रंथों के रचयिता । टि०-सरोज में भांडेर दिया गया है, न कि बांडेर । --सर्वेक्षण ९५२ ४९०. प्राननाथ कवि-बैसवाड़ा के ब्राह्मण । १७९३ ई० में उपस्थित । उक्त वर्ष इन्होंने चकाव्यूह नामक इतिहास लिखा । ४९१. कान्ह कवि---प्राचीन । जन्म १७९५ ई० । नायिका भेद के एक ग्रंथ के रचयिता । टिक-इनके नायिका मेद वाले ग्रथ का नाम 'रसरंग' है। इसका रचना काल सं० १८०४ है। अतः १७९५ ई० (सं० १८५२ ) अशुद्ध है । यह न जन्म काल है, न उपस्थिति काल । -~-सर्वेक्षण ८६