पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(२३३ ) रचयिता है, जिसमें यह लिखते हैं कि छत्रसाल (सं० १९७) के पुत्र हिरदै सिंह या हिरदेस (मिलाइए सं० १५५ और ३४६), और उनके भी पुत्र हिंदूपति (मिलाइए सं० ५०२) थे। टि-रूप विलास की रचना सं० १८१३ में हुई थी। हिंदूपति का शासन काल सं० १८१३-३४ है। १८००ई० (सं० १८५७ ) में इनका उपस्थित रहना बहुत समीचीन नहीं प्रतीत होता। . -~-सर्वेक्षण ७७३ ५०४. करन बाह्मन-बुन्देलखण्डी 1 १८०० ई० के आसपास उपस्थित।। यह परना के बुन्देला महाराजा हिंदूपति (मिलाइए सं० ५०२) के दरवारी कवि थे। इन्होंने दो महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे-~-रस कल्लोल' और 'साहित्य रस'। टि०-३४६ संख्यक करन भट्ट और ५०४ संख्यक करन बाान एक हो व्यक्ति हैं। यहाँ दिया समय १८०० ई० (सं० १८५७ ) अशुद्ध है। सं० १७९४ में इन्होंने बिहारी सतसई को टीका प्रस्तुत की थी। -सर्वेक्षण ६९, ७० ५०५. हरदेव कवि-१८०० ई० में उपस्थित । । - यह नागपुर के रघुनाथ राव (१८१६-१८१८) के दरबारी कवि थे । ५०६. पद्माकर भट्ट-बौंदा वाले । १८१५ ई० में उपस्थित । राग कल्पद्रुम, सुन्दरी तिलक, शृङ्गार संग्रह । यह बाँदा वाले मोहन भट्ट (सं० ५०२ ) के पुत्र थे। पनाकर पहले नागपुर के रघुनाथ राव, सामान्य- तया अप्या साहिब के नाम से प्रसिद्ध ( शासन काल १८१६-१८१८), के दरबार में गए, जहाँ अपनी कविता के लिए इन्हें बहुत पुरस्कार मिला। तदनन्तर यह जयपुर गए, जहाँ नगत सिंह सवाई (१८०३-१८१८) के नाम पर जगद्विनोद ( राग कल्पद्रुम) नामक ग्रंथ रचा । इनके पौत्रों में से गदाधर भट्ट ( सं० ५१२) का उल्लेख किया जा सकता है। टिक-पभाकर का जन्म काल सं० १८१० और गंगा लाभ काल सं० १८९० है। -सर्वेक्षण ४४६ ५०७. ग्वाल कवि-मथुरा के बन्दीजन और कवि । १८१५ ई० में उपस्थित । ___सुन्दरी तिलक । यह साहित्य में परम प्रवीण थे। इनके प्रमुख ग्रंथ हैं ---- (१) साहित्य दूषण, (२) साहित्य दर्पण, (३) भक्ति भाव, (४) शृङ्गार दोहा, (५) शृङ्गार कवित्त । इन्होंने छोटे ग्रन्थ भी लिखे, जैसे नखशिख, गोपी पचीसी,